शिवलिंग केकार्बन डेटिंग मामले में 14 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
लखनऊ
मस्जिद में मिली शिवलिंग की कार्बन डेटिंग वह किसी अन्य वैज्ञानिक तरीके से जांच कराए जाने के मामले को लेकर कोर्ट में आज सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष द्वारा कोर्ट में अपनी दलीलें दी गई। मुस्लिम पक्ष द्वारा कोर्ट में कहा गया कि शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की कोई आवश्यकता ही नहीं है। मुस्लिम पक्ष द्वारा यह भी कहा गया कि हिंदू पक्ष ने जो केस दायर किया था, उसमें देवी देवताओं की पूजा करने की मांग की गई थी। अब यह मामला कोर्ट में चल रहा है तो फिर शिवलिंग के जांच की मांग क्यों की जा रही है? मुस्लिम पक्ष द्वारा कहा गया कि हिंदू पक्ष ज्ञानवापी मामले में कमीशन द्वारा सबूत इकट्ठा करने की मांग कर रहे हैं, सिविल प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि इस दौरान मुस्लिम पक्ष द्वारा दी गई दलीलों का हिंदू पक्ष ने विरोध किया। उसके बाद आदेश को सुरक्षित रखते हुए न्यायालय द्वारा अगली सुनवाई के लिए 14 अक्टूबर की तिथि नियत की गई।
वादिनी महिलाओं द्वारा की गई थी जांच की मांग
16 मई को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कमिश्नर की कमीशन की कार्यवाही के दौरान वजूखाने में शिवलिंग जैसी एक आकृति मिली थी। उसी के बाद ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस में मां श्रृंगार गौरी केस की वादिनी महिलाओं द्वारा दावा किया गया कि वह शिवलिंग है। उसी के बाद वादिनी महिलाओं द्वारा न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की मांग की गई। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि वह शिवलिंग ही है और उसकी आयु के बारे में भी पता चल सके।
पिछली सुनवाई में कोर्ट से मांगा गया था समय
इस मामले में 7 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी, जिसमें मुस्लिम पक्ष के अंजुमन इंतेजामियां मसाजिद कमेटी द्वारा जवाब देने के लिए समय मांगा गया था। इस पर सुनवाई करते हुए जिला अध्यक्ष द्वारा 11 अक्टूबर की तिथि नियत की गई थी और यह भी कहा गया था कि अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी का पक्ष सुनने के बाद फैसला सुनाया जाएगा। 7 अक्टूबर को अंजुमन इंतेजामियां मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता मुमताज अहमद और रईस अहमद द्वारा कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद में मिले हुए कथित शिवलिंग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुरक्षित रखा गया है। कहा गया कि आगे भी इस मामले में कार्बन डेटिंग या जो भी कुछ किया जाएगा वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही किया जाएगा।