सिरमौर सिविल अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर ओपीडी से नदारद
- प्राइवेट मेडिकल स्टोर एवं क्लीनिक में दे रहे सेवा
- सिरमौर की जनता को नहीं मिल पा रहा है स्वास्थ्य लाभ
- बीते दिनों सिरमौर की जनता ने कलेक्टर मनोज पुष्प से की थी शिकायत
रीवा
आपको बता दें कि सिरमौर से पहुंचे लोगों ने रीवा कलेक्टर से लिखित आवेदन के माध्यम से शिकायत की थी कि सिविल अस्पताल में ओपीडी से डॉक्टर नदारद रहकर अपने पर्सनल क्लीनिक एवं मेडिकल स्टोर पर मोटी कमाई के लिए ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिरमौर में पदस्थ वरिष्ठ चिकित्सक एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरके ओझा द्वारा आम जनता के साथ काफी लूट की जा रही है, डॉक्टर आरके ओझा रीवा से चलकर सुबह 9:30 बजे तक सिरमौर पहुंचते हैं और पहुंचने के बाद न्यायालय के पीछे एवं शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिरमौर के बगल में ही एक आवासीय घर पर जहां पर उनकी तिजोरी भरने वाला मेडिकल स्टोर खुला है, उसी घर में बैठकर मरीजों को देखते हैं वहीं मरीजों को देखने की फीस ₹300 है, उसके पश्चात लगभग ₹500 की जांच एवं 1500रु से ₹2000 तक की दवाई लिख कर निजी व्यक्ति के यहां तिजोरी भरने वाले मेडिकल जहां पर वह स्वयं बैठते हैं वहीं से दवाई मंगाते हैं ऐसा नहीं करने पर उन मरीजों को अपने गुर्गो के माध्यम के डराते धमकाते हैं जहां पर वह अपनी लूट की बाजार खोल रखे हैं वह शासकीय जगह कोई व्यापारिक स्थान नहीं है उस स्थान का शायद उनके पास रजिस्ट्रेशन भी नहीं होगा क्योंकि उनकी अपनी स्वयं की क्लीनिक है जहां एक व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं बैठते हैं, यह खेल सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक चलता है इसके पश्चात वह अस्पताल की ओपीडी में 12:30 बजे पहुंचते हैं वहां भी वह जांच कराने के लिए अपनी निजी व्यक्ति के पास ही भेजते हैं और दवाई भी ऐसी लिखते हैं जो उनके अपनी निजी व्यक्ति की मेडिकल स्टोर से खरीदनी होती है पर्ची पकड़ाते ही उनके गुर्गे उस पर्ची को लेकर मरीज के परिजन को लेकर मेडिकल स्टोर तक पहुंचाते हैं इस तरह के रवैया से सिरमौर क्षेत्र की जनता के साथ एक वरिष्ठ एवं जिम्मेदार चिकित्सक मनमानी करते हुए निजी मेडिकल स्टोर एवं जांच केंद्र में कमीशन खा रहे हैं और धोखा कर रहे हैं,,, मरीज चाहे सामान बुखार से ही पीड़ित हो लंबी जेब ढीली करनी पड़ती है सिरमौर में एक ही बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ होने से लोकल चिकित्सक होने के कारण इनकी मनमानी लगातार बढ़ती जा रही है,पैसे के रसूख के आगे उनका विरोध करना भी आसान नहीं है क्योंकि वह लोकल है और लगातार 25 वर्षों से अस्पताल में पदस्थ है विरोध करने पर इनके द्वारा मारपीट की जाती है चिकित्सक महोदय अस्पताल में नाम मात्र को रहते हैं और शाम 6:00 बजे रीवा वापस चले जाते हैं अगर कोई मरीज रात में अस्पताल पहुंचता है तो यह चिकित्सक नदारद रहते हैं, इनके इस तरह रवैये से पूरे अस्पताल में खींचातानी मची है, आम आदमी परेशान है दूसरा भगवान कहे जाने वाले ऐसे चिकित्सक जो बेतन सरकार से खा रहे हैं और काम निजी कर रहे हैं, डॉक्टर साहब का यह रवैया कई वर्षों से चला आ रहा है वहीं इस पूरे मामले की शिकायत सिरमौर की जनता द्वारा बीते दिनों रीवा कलेक्टर से भी की जा चुकी है अब देखना यह होगा कि इस पूरे मामले में कितनी सच्चाई है और अगर इस बात में सच्चाई है तो देखना यह होगा कि इस पूरे मामले पर प्रशासन क्या कार्यवाही करता है…..