खुलासा :EOW तीन सालो में भ्रष्ट पुलिस अफसरों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की
भोपाल
इंदौर के टीआई की वसूली की शिकायत से नाराज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भ्रष्ट पुलिस अफसरों की लिस्ट बनाने और उन पर ईओडब्ल्यू का छापा डलवाने के निर्देश गृह विभाग के अफसरों को दिए थे। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद भ्रष्टाचार निवारण का काम करने वाली दो एजेंसियों की ओर से की गई कार्रवाई की पड़ताल की। लोकायुक्त संगठन और ईओडब्ल्यू सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन आती हैं। पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
पता चला कि तीन साल के भीतर ईओडब्ल्यू ने एक भी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। लोकायुक्त संगठन भी तीन साल में केवल 48 पुलिसकर्मियों को ही रिश्वत लेते पकड़ पाया है। जबकि दोनों एजेंसियों में पुलिस के खिलाफ सैकड़ों शिकायतें पहुंची हैं। ईओडब्ल्यू के पास आय से अधिक की सम्पति के आरोप में केवल दो पुलिस इंस्पेक्टर्स के खिलाफ जांच चल रही है। बता दें कि यहां ऐसी हर महीने औसतन 10-15 शिकायतें डाक या प्रत्यक्ष रूप से पहुंचती हैं। ईओडब्ल्यू सूत्रों का कहना है कि जब भी किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ शिकायत आती है तो उसे सीआईडी की विजिलेंस विंग को भेज दिया जाता है। सीनियर अफसर जांच के बाद इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हैं, लेकिन उन्हें एफआईआर से अमूमन बचा लिया जाता है। बहुत से मामले विजिलेंस में भी जांच के नाम पर लंबित छोड़ दिए जाते हैं।
लोकायुक्त.. निचले स्तर के पुलिसकर्मी ट्रैप किए
लोकायुक्त पुलिस ने तीन साल के भीतर करीब 48 पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया है। इनमें भी ज्यादातर छोटे स्तर के पुलिसकर्मी शामिल हैं। लोकायुक्त पुलिस द्वारा पिछले तीन सालों में की गई कुल कार्रवाई का ये करीब 9 फीसदी ही है। सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त पुलिस को हर साल औसतन 250-300 शिकायतें पुलिसकर्मियों के खिलाफ मिलती हैं।
जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएं
सीएम शिवराज सिंह चौहान को इंदौर के टीआई धनेंद्र सिंह भदौरिया की वसूली की शिकायत मिली थी। आरोप है कि भदौरिया लोगों को डरा धमकाकर वसूली करते हैं। मुख्यमंत्री ने पुलिस अफसरों से कहा कि वे जीरो टॉलरेंस की नीति से काम करें।
राजस्व विभाग में सबसे ज्यादा कार्रवाई
लोकायुक्त पुलिस ने पिछले तीन साल में 507 लोगों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। इनमें से सबसे ज्यादा 137 कर्मचारी यानी 27% लोग राजस्व विभाग के हैं। इनमें पटवारी से लेकर नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं।