गौ-ग्रास निकालने की परंपरा को लुप्त और सुप्त न होने दें : स्वामी अखिलेश्वारनंद गिरी
भोपाल
भारत वर्ष में गौ पालन की परंपरा अति प्राचीन है। इसको बनाए रखना हम सभी का पुनीत दायित्व है। गौ-वंश के लिये गौ-ग्रास निकालना अति आवश्यक है। गौ-ग्रास निकालने की परंपरा को लुप्त और सुप्त नहीं होने देना है। मध्यप्रदेश गौ संवर्द्धन बोर्ड कार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वारनंद गिरी ने यह बात आज छिन्दवाड़ा जिले के ग्राम उमरी खुर्द में माँ भगवती गौ-शाला 'राम वाटिका' निर्माण का शुभारंभ करते हुए कही। वाटिका में विभिन्न तरह के औषधीय, फलदार, छायादार, गृह-नक्षत्रों पर आधारित वृक्षों की वाटिका निर्मित की जाएगी।
स्वामी गिरी ने इस अवसर पर आयोजित 'गौ संगोष्ठी' को संबोधित करते हुए कहा कि गौ-वंश कभी भी अनार्थिक और अनुपयोगी नही होता है। इस तथ्य और सत्य को ध्यान में रखकर ही गौ-सेवा की भावना जनसामान्य में जाग्रत करना वर्तमान समय की आवश्यकता है। गौ-सेवा और गौवंश रक्षा सदैव प्रसांगिक है। इस संगोष्ठी में पार्ण्डुना के और ग्राम उमरी खुर्द के गौ-पालक, गौ-सेवक, किसान और गायत्री पीठ से जुड़े हुए लोगों ने भाग लिया।