November 25, 2024

खस्‍ताहाल सड़के: समय, डीजल और टायर तीनों की बनीं दुश्मन, गांव से शहर तक हालत खराब

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 कानपुर
 
ऊबड़-खाबड़ सड़कों और गड्ढों ने लोगों की सेहत के साथ वाहनों को भी 'अपंग' बना दिया है। जर्जर सड़कें रोडवेज बसों के वक्त, डीजल और टायर तीनों की दुश्मन बन गई हैं। स्टेट हाईवे हों या राष्ट्रीय राजमार्ग, शहर की रोड हों या गांव की लगभग सभी जगह स्थिति खराब है। रफ्तार में ब्रेकर बने ये बड़े-बड़े गड्ढे न सिर्फ सफर लेटलतीफ कर रहे, बल्कि बसों में ईंधन की खपत भी बढ़ा रहे हैं। इसकी वजह है कि कई-कई किमी तक सड़कें खराब होने पर बसों को धीरे चलाना पड़ता है। इससे भी बड़ी दिक्कत टायरों के फटने और पंचर होने की है। कानपुर रीजन के आंकड़ों पर नजर डालें तो रोज 15-16 टायर पंचर हो रहे हैं, जबकि बारिश के पहले 9-10 तक यह आंकड़ा थी।

लखनऊ, कन्नौज का सफर डेढ़ के बजाय दो घंटे में झकरकटी से लखनऊ वाया रामादेवी जाने वाली बसों के लिए वैसे तो डेढ़ घंटे का समय निर्धारित है। चाहे जनरथ हो या साधारण बसें, इतना सफर तय करने में 125 मिनट तक का समय लग रहा है। चालक रामकेवट का कहना है कि कानपुर से प्रयागराज जाने में साधारण बस को दिन में चार तो रात में पांच घंटे लग जाते हैं जबकि दूरी लगभग 190 किमी है। 80 किमी कन्नौज तक जाने में औसतन दो घंटे लग जाते हैं। कानपुर से प्रयागराज जाने वाला हाईवे पर भी लेटलतीफी का सामना करना पड़ता है।

क्षेत्रीय कार्यशाला फजलगंज के सेवा प्रबंधक तुलाराम का कहना है कि खटारा सड़कों से समय तो अधिक लगता ही है, साथ ही मेंटीनेंस का बोझ भी विभाग पर पड़ता है। सड़कों को गड्ढामुक्त कराने के लिए प्रशासन के साथ पीडब्ल्यूडी को पत्र भी लिखेंगे। बसों के संचालन में यह विकराल समस्या बनी है।

 

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