‘मेहनत और संघर्ष करने की हिम्मत करो’, ये चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का किसको संदेश?
बीजिंग
चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) का एक सप्ताह से जारी महासम्मेलन (कांग्रेस) शनिवार को पार्टी की केंद्रीय समिति के चुनाव और राष्ट्रपति शी जिनपिंग को और अधिकार देने के लिए अपने संविधान में बदलाव सहित कई प्रस्तावों को पारित करने के साथ ही संपन्न हो गया। शी ने बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में सभा के अंतिम कार्यक्रमों में से एक में दोपहर को भाषण दिया। उन्होंने पार्टी के वफादार लोगों से कहा, "संघर्ष करने की हिम्मत करो, जीतने की हिम्मत करो और कड़ी मेहनत करो। आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्प रखो।"
लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनेंगे जिनपिंग!
बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में समापन समारोह में 2,300 पार्टी प्रतिनिधि शामिल हुए। एक सप्ताह तक चली इस बैठक के बाद पार्टी में शीर्ष नेतृत्व में कई फेरबदल भी होंगे, जिसकी मंजूरी दी गई। पार्टी के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों के 200 सदस्यीय निकाय, नवनिर्वाचित केंद्रीय समिति की पहली बैठक के तुरंत बाद, शी को रविवार को महासचिव घोषित किए जाने की उम्मीद है। यह मार्च में शी जिनपिंग को चीन के राष्ट्रपति के रूप में तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने की अनुमति देगा।
2018 में ही जिनपिंग ने साफ किया था आगे का रास्ता
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2018 में राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की सीमा समाप्त कर दी थी, जिससे उनके लिए अनिश्चित काल तक शासन करने का रास्ता साफ हो गया था। इस हफ्ते के आखिरी में नई केंद्रीय समिति 25-सदस्यीय पोलित ब्यूरो में फेरबदल को मंजूरी देगी, साथ ही पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति – चीन की सर्वोच्च शक्ति – लगभग सात लोगों की होगी।
रविवार को शुरू हुआ था समारोह
इससे पहले रविवार के कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में, शी ने पार्टी की उपलब्धियों की सराहना करते हुए 105 मिनट की 'वर्क रिपोर्ट' दी थी और घरेलू समस्याओं जैसे कि ठप पड़ी अर्थव्यवस्था और उनकी कठोर शून्य-कोविड नीति से हुए नुकसान पर बात रखी थी। उन्होंने कहा, "हमें… तेज हवाओं, यहां तक कि खतरनाक तूफानों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।"
जिनपिंग इस साल सीपीसी प्रमुख और राष्ट्रपति के तौर पर अपना 10 साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। पार्टी संस्थापक माओत्से तुंग के बाद वह पहले चीनी नेता होंगे जो सत्ता में तीसरे कार्यकाल तक कायम रहेंगे। माओत्से तुंग ने लगभग तीन दशक तक शासन किया था। पर्यवेक्षकों का कहना है कि नया कार्यकाल मिलने का अभिप्राय जिनपिंग का भी माओ की तरह जीवनभर सत्ता में बने रहना हो सकता है।