November 25, 2024

नाटो रूसी सेना के फरमान से हाई अलर्ट पर , यूक्रेन जंग में पुतिन की क्‍या है रणनीति

0

नई दिल्‍ली
यूक्रेन जंग अब एक बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। यूक्रेन के शहर खेरसान को लेकर रूसी सेना ने जो खतरनाक संकेत द‍िए, उससे नाटो और पश्चिमी देशों के कान खड़े हो गए हैं। रूसी सेना ने खेरसान के सभी निवासियों को तत्‍काल शहर छोड़ने को कहा है। इससे यह अंदेशा प्रबल हो गया है कि रूसी सेना इस इलाके में कोई बड़ी सैन्‍य कार्रवाई कर सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रूसी सेना ने लोगों को शहर छोड़ने का आदेश क्‍यों दिया। इसके क्‍या बड़े रणनीतिक मायने हैं। आइए जानते हैं कि इस पर क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ।

पुतिन के फरमान के बाद नाटो सेना हाई अलर्ट पर
रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के इस आदेश के बाद नाटो सेना हाई अलर्ट पर हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या खेरसान के बहाने रूस पश्चिमी देशों पर भी हमला कर सकता है। क्‍या इस जंग में नाटो और रूसी सैनिक आमने-सामने हो सकते हैं। क्‍या तीसरे महायुद्ध के हैं आसार। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नाटो इस जंग में कूदा तो यूक्रेन जंग को तीसरे महायुद्ध में तब्‍दील होने से कोई नहीं रोक सकता है।

यूक्रेन जंग को खत्‍म करने के लिए पुतिन की बड़ी रणनीति
विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूसी सेना का यह इशारा एक खतरनाक संकेत देता है। उन्‍होंने कहा कि रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन किसी बड़ी रणनीति को अंजाम देने में जुटे हैं। बेलारूस का रूसी सेना को सैन्‍य सहयोग इसी कड़ी से जोड़कर देखा जाना चाहिए। खेरसान से नागरिकों को बाहर निकालने के पीछे उनकी काेई बड़ी मंशा दिख रही है। पहले यूक्रेन की राजधानी कीव पर मिसाइल हमला और इसके बाद उसके प्रमुख शहरों के एनर्जी सिस्‍टम पर प्रहार करने के पीछे उनकी बड़ी योजना दिखती है।

यूक्रेन और पश्चिमी देशों पर बना रहे हैं दबाव की रणनीति
प्रो पंत ने कहा कि पुतिन अपनी सैन्‍य रणनीति के जरिए यूक्रेनी राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की के साथ पश्चिमी देशों पर जबरदस्‍त दबाव बनाने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए रूसी सेना ने अब यूक्रेन के बिजली स्‍टेशनों और जल आपूर्ति प्रणालियों को निशाना बनाया है। रूसी सेना का लक्ष्‍य अब यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को ध्‍वस्‍त करना है, जिससे यूक्रेनी राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की और पश्चिमी देशों पर दबाव बनाया जा सके।

इसके बाद यूक्रेन समझौते के लिए विवश हो सकता है। फ‍िलहाल, यूक्रेनी जनता अभी तक जेलेंस्‍की के साथ खड़ी है। वह इस जंग में राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की का साथ दे रही है। यही कारण है कि यूक्रेनी नागरिकों ने भी रूसी सुरक्षा बलों के खिलाफ हथ‍ियार उठा लिए हैं।

रूसी सेना मिसाइल और ड्रोन का कर रही है इस्‍तेमाल
गौरतलब है कि क्रीमिया में बने पुल पर विस्‍फोट के बाद रूसी सेना काफी आक्रामक हो गई है। इसके बाद रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी समेत प्रमुख शहरों को निशाना बनाया है। रूसी सेना धड़ल्‍ले से मिसाइल और ड्रोन का इस्‍तेमाल कर रही है। रूसी सेना के हमलों में यूक्रेन के 30 फीसद से ज्‍यादा पावर स्‍टेशन ध्‍वस्‍त हो गए हैं। यूक्रेन के कई शहर अंधेरे में डूबे हैं। कई शहरों में जल और विद्युत आपूर्ति दोनों बाधित है।

यूक्रेनी राष्‍ट्रपति की प्रमुख चिंता नोवा काखोव्‍का बांध है। अगर रूस ने अपने परमाणु हथ‍ियारों से इस बांध को निशाना बनाया तो यूक्रेन का दक्षिण भाग तबाह हो जाएगा। रूसी राष्‍ट्रपति के खेरसान को खाली करने के बाद यह शंका और गहरा गई है।

खेरसान को लेकर क्‍यों मचा घमासान
गौरतलब है कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन ने रूस मे शामिल किए गए यूक्रेन के चार क्षेत्रों में (लुहांस्‍का डोनेस्‍क, जपोरीजिया, खेरसान) में मार्शल कानून लगा दिया है। अब यह क्षेत्र रूसी सेना के कब्‍जे में है। इसके बाद से यूक्रेनी सेना सामर‍िक रूप से उपयोगी खेरसान पर अपने नियंत्रण के लिए जोर लगा रही है। यूक्रेनी राष्‍ट्रपति का दावा है कि वह यूक्रेन के खोए हुए क्षेत्रों को वापस लेंगे। यूक्रेनी सुरक्षा बलों ने खेरसान क्षेत्र में रूसी ठिकानों पर बमबारी कर रही है। खेरसान के नियंत्रण के बाद रूसी अधिकारी नदी पार से 60 हजार नागरिकों को निकालने की घोषणा की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *