रातापानी सेंचुरी में बाघों की गिनती के लिए 1800 कैमरे लगाए जाएंगे
भोपाल
मध्य प्रदेश में वन विभाग को रातापानी सेंचुरी (Ratapani Century) में बाघों की संख्या पर संशय है. वन विभाग अब दोबारा बाघों की गणना करेगा. इसके लिए जंगल में 1800 कैमरे लगाए जाएंगे. वहीं पिछली गणना के दौरान साढे छह सौ कैमरों से बाघों की गिनती की गई थी. इन कैमरों में अधिकांश बाघ कैप्चर नहीं हो सके इसलिए वन विभाग ने बाघों की गणना के लिए दोबारा से निर्णय लिया है. दरअसल, वाइल्ड लाइफ इंस्टीटयूट डब्ल्यूआईआई दोबारा से बाघों की गिनती करेगा.
पहले भी हुई थी गणना
जनवरी महीने में रातापानी में हुई बाघों की गणना के दौरान कई बाघ कैमरे में कैप्चर नहीं हो सके थे. इसलिए डब्ल्यूआईआई ने दोबारा रातापानी सेंचुरी में कैमरे लगाकर बाघों की गणना करने का निर्णय लिया है.
इससे पहले डब्ल्यूआईआई ने 11 जनवरी से एक मार्च तक बाघों की गणना की थी. बाघों की गणना के लिए 650 ट्रेप कैमरे लगाए गए थे. इस दौरान सही ढंग से बाघों की गणना नहीं हो सकी थी. अधिकांश बाघ इन कैमरे में कैद नहीं हो सके थे. नतीजतन अब दोबारा से वन विभाग ने बाघों क गणना करने का निर्णय लिया है. इस बार कैमरों की संख्या तीन गुना कर दी गई है. रातापानी सेंचुरी में 1800 कैमरों की मदद से इसबार बाघों की गणना की जाएगी.
हरियाली बिगाड़ेगी गणना की गणित
इधर वन विभाग के अफसरों का कहना है कि अभी बारिश का दौर खत्म हुआ है. जंगल में घास बड़ी-बड़ी हो रही है. ऐसे में इन बाघों की गणना में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ेगा. कैमरों में सही ढंग से ट्रेप नहीं होने की वजह से बाघों की संख्या कम हो सकती है.अफसरों का कहना है कि पूर्व में हुई गणना के दौरान 152 बीटों में से 116 बीटों में बाघों की उपस्थिति दर्ज हुई थी. जबकि 500 से अधिक संख्या में तेदुएं पाए गए थे. ऐसे में इसबार बारिश के बाद हो रही इस गणना में परेशानी आ सकती है.