नकल की जांच के लिए कपड़े उतारने से आहत छात्रा का आत्मदाह
रांची
14 साल की उस लड़की का नाम था ऋतु मुखी। नौवीं में पढ़ती थी। घर की माली हालत अच्छी नहीं थी। कुछ साल पहले सिर से पिता का साया उठ गया था।
उसका सपना था कि पढ़-लिखकर सरकारी अफसर बने। वह अपनी मां सरस्वती मुखी और परिवार का सहारा बनना चाहती थी। मां को भी इस बिटिया से बड़ी उम्मीदें थीं। ऋतु मुखी स्वभाव से अंतमुर्खी थी। कक्षा में हमेशा शांत रहने वाली इस लड़की ने बीते 15 अक्टूबर को शाम में स्कूल से घर लौटने के बाद खुद पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा ली। उस वक्त घर पर कोई नहीं था।
मां और भाई किसी काम से बाहर थे और बहनों को उसने पड़ोस में भेज दिया था। आग की लपटें तेज हुईं तो वह सड़क की तरफ भागी और बेहोश होकर गिर पड़ी। शोर सुनकर आस-पास के लोग दौड़े और आग बुझाई, लेकिन वह 90 फीसदी जल चुकी थी। हॉस्पिटल में सात दिनों तक संघर्ष के बाद उसने आखिरकार बीते 21 अक्टूबर को दम तोड़ दिया। ऋतु के इस दर्दनाक अंत के साथ उसके सपने और उसकी एक मां और परिवार की कई उम्मीदें भी जलकर खाक हो गईं।
जमशेदपुर के सीतारामडेरा अंतर्गत छायानगर की इस छात्रा के आत्मदाह की वजह बेहद शॉकिंग है। टाटा मेन्स हॉस्पिटल में छह दिनों तक जिंदगी-मौत से लड़ती रही ऋतु ने पुलिस को दिये बयान में जो आपबीती बताई थी, वह इस तरह है:
मैं शारदामणी स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ती हूं। 14 अक्टूबर को शुरू हुई टर्मिनल परीक्षा में साइंस का एग्जाम देने गई थी। शाम 4 बजे इन्विजिलेटर चंद्रा दास ने मुझे यह कहते हुए पकड़ा कि मैं चीटिंग कर रही हूं। इसके बाद सभी के सामने उन्होंने मुझे तमाचा जड़ दिया। फिर सभी के सामने मेरे कपड़े उतरवा दिए। इससे पहले मैंने विरोध किया कि कपड़े के अंदर चिट नहीं है, तब उन्होंने कहा-तुम सयानी बनती हो, कपड़े उतारो। फिर वहां से मुझे प्रिंसिपल के कमरे में ले जाया गया। छुट्टी होने के बाद मैं अपने घर आ गई। इस घटना से इतनी शमिंर्दा थी कि मैंने बहनों को पड़ोसी के घर भेज दिया और कमरे में ही खुद को आग लगा ली।ह्व
शिक्षिका चंद्रा दास अब जेल में हैं। हालांकि वह ऋतु के लगाये आरोपों से इनकार करती हैं, लेकिन क्लास की कई अन्य छात्राएं उस दिन हुई घटना की तस्दीक करती हैं। स्कूल की प्रिंसिपल गीता महतो को भी सस्पेंड कर दिया गया है। सीएम हेमंत सोरेन ने खुद घटना का संज्ञान लेते हुए प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया।
ऋतु की मौत के बाद जमशेदपुर की उपायुक्त विजया जाधव जब उसकी मां को ढाढ़स बंधाने पहुंची, तो वह हाथ जोड़ते हुए बस कहती रही, मेरी बेटी को इंसाफ दिला दीजिए मैडम..उसकी क्या गलती थी मैडम? मैं अपनी बच्ची को बचा नहीं सकी।
बहरहाल, ऋतु के आत्मदाह की घटना अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है। हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के रिटायर्ड व्याख्याता और शिक्षाविद डॉ एससी शर्मा कहते हैं, इस घटना के लिए पहली नजर में बेशक शिक्षिका ही कसूरवार लगती है, लेकिन असल में यह पूरे शैक्षणिक सिस्टम और हमारे सामाजिक ताने-बाने पर भी सवाल है।
छात्रा खुद में घुटती हुई आत्मदाह के फैसले तक पहुंच गई और उसने किसी को अपने मन में मचे युद्ध की खबर तक नहीं होने दी। शैक्षणिक परिसरों से ऐसी खबरें अक्सर आ रही हैं। हम हर घटना पर सिर्फ अफसोस और किसी एक को कसूरवार ठहराकर आगे बढ़ जाते हैं। कॉरपोरल पनिशमेंट की घटनाएं पूरे सिस्टम पर सवाल हैं। इन्हें रोकने के लिए सिर्फ कानून बनाने से काम नहीं चलने वाला। शिक्षकों-छात्रों-अभिभावकों की लगातार काउंसलिंग की जरूरत है।ह्व