September 22, 2024

भारत सरकार के आदिवासी मामलों के मंत्रालय और कर्नाटक सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय के साथ साझेदारी में आर्ट ऑफ लिविंग और नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स द्वारा आयोजित तीसरा राष्ट्रीय ईएमआरएस सांस्कृतिक उत्सव आज आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर

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राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते हुए एकता की शपथ ली। शपथ के बाद वैश्विक मानवतावादी और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की भव्य उपस्थिति में श्रीमती रेणुका सिंह सरुता, माननीय राज्य मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार तथा समाज कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, कर्नाटक सरकार के माननीय मंत्री श्री कोटा श्रीनिवास पुजारी सहित गणमान्य व्यक्तियों के प्रेरक भाषण हुए।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर ली गई एकता की शपथ: आदिवासी पहचान और संस्कृति को बढ़ावा देने और संरक्षण पर जोर दिया गया

आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर में तीसरे राष्ट्रीय ईएमआरएस सांस्कृतिक उत्सव का आरंभ

1 नवंबर 2022, बेंगलुरु: जनजातीय मामलों के मंत्रालय, भारत सरकार और समाज कल्याण मंत्रालय, कर्नाटक सरकार की साझेदारी में आर्ट ऑफ लिविंग और नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स द्वारा आयोजित तीसरा राष्ट्रीय ईएमआरएस सांस्कृतिक उत्सव आज शुरू हुआ।

तीन दिवसीय कार्यक्रम में देश भर के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के 1648 प्रतिभागियों के मध्य सांस्कृतिक और खेल प्रतियोगिता होगी। जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे ये स्कूल अनुसूचित जनजाति के बच्चों को उच्च और व्यावसायिक शैक्षिक पाठ्यक्रमों में अवसर प्रदान करने और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं।
राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर, उपस्थित सभी लोगों ने राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते हुए एकता की शपथ ली। शपथ के बाद वैश्विक मानवतावादी और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की भव्य उपस्थिति में श्रीमती रेणुका सिंह सरुता, माननीय राज्य मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, श्री कोटा श्री निवास पुजारी, समाज कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के माननीय मंत्री, कर्नाटक सरकार सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के प्रेरक भाषण हुए।

गुरुदेव ने कहा, “हमें अपने राज्य, भाषा, भूमि और जल पर गर्व करने की आवश्यकता है,” हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट सांस्कृतिक ताना-बाना है। हमारे गांवों की अपनी संस्कृति, लोककथा, साहित्य और ज्ञान है, जिसे आधुनिक विकास के साथ-साथ संरक्षित करने की आवश्यकता है ।” एकलव्य की कथा के बारे में बोलते हुए गुरुदेव ने कहा, “आज हमारे पास ऐसा कोई भी नहीं है जो आपको अस्वीकार कर सके। आपको दोनों हाथों से सहेजा गया है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।”

श्रीमती रेणुका सिंह सरुता, माननीय राज्य मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने, भारत के हाल के इतिहास में खेल, शिक्षा और प्रशासन के क्षेत्र में सफल आदिवासी महिलाओं की विभिन्न सफलता की कहानियों का हवाला दिया और छात्रों को उनसे प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया, उनका कहना है कि आज कोई भी आदिवासी लड़की अपने लिंग के आधार पर पढ़ाई और प्रगति करने से नहीं रुकी है।

“यह प्रतियोगिता हमारे राष्ट्र की संस्कृति में विद्यमान विविधता को दर्शाएगी,” श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने कहा, “बच्चों को मेरा सुझाव है कि आत्मनिरीक्षण की भावना को बनाए रखें, खुद से सवाल पूछें और ध्यान करें। इससे आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी। जीवन में बड़े लक्ष्य रखें, बड़े लक्ष्य से बड़ी उपलब्धियां भी प्राप्त होंगी। ।”
श्री कोटा श्रीनिवास पुजारी, कर्नाटक सरकार के समाज कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के माननीय मंत्री ने समाज के पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करने के डॉ. बी आर अंबेडकर के सपनों के बारे में बताया। उन्होंने एकलव्य स्कूलों के बारे में जानकारी दी, कर्नाटक में ही 831 स्कूल स्थापित किए गए हैं, प्रत्येक स्कूल में 250 छात्र रहते हैं। “इन स्कूलों में लाए गए बच्चों को पीयूसी और डिग्री पास होने तक कुछ भी भुगतान नहीं करना पड़ता है। हमारी इच्छा है कि भविष्य में उन्हें डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाए। यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि इन स्कूलों में पढ़ रहे 14 छात्र आईआईटी और इस तरह के संस्थानों के स्तर तक पहुंच गए हैं,” श्री पुजारी ने कहा।

उन्होंने देश भर में 982 मुफ्त स्कूल चलाने के लिए गुरुदेव और आर्ट ऑफ लिविंग को बधाई दी, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के 80,000 से अधिक बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली समग्र शिक्षा प्रदान करते हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं।

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