झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम से आए हो सांस्कृतिक दल के लोक कलाकार देंगे हो नृत्य की प्रस्तुति
रायपुर
छत्तीसगढ़ के 23 वें स्थापना दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव का तीन दिवसीय आयोजन राजधानी रायपुर स्थित साइंस कॉलेज मैदान में किया जा रहा है। इस महोत्सव में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम की हो सांस्कृतिक दल के लोक कलाकार हो नृत्य की प्रस्तुति देंगे। झारखंड की परंपरा में इस नृत्य में फसल की बुआई से लेकर फसल की कटाई एवं उसके पश्चात की सभी गतिविधियों को पारंपरिक वाद्ययंत्रों की संगीतमय प्रस्तुति के माध्यम से दिखाया जाता है। दल के निर्देशक श्री सोमाय देवगम एवं जुलियानी कोड़ा ने बताया कि झारखंड की लोक परंपरा में हो लोकनृत्य जनजातीय हो त्यौहार के अवसर पर किया जाता है। जिसमें खेती की बुआई, कटाई और इस दौरान लोकजीवन की प्रमुख गतिविधि, विविध परंपराओं से जुड़े रिवाजों को अभिव्यक्त किया जाता है, यह नृत्य लोकजीवन की शैली का प्रतिबिंब है।
हो लोक नृत्य लगभग 20-30 मिनट तक प्रस्तुत किया जाता है। मूलत: 21 लोगों का समूह इस नृत्य को प्रस्तुत करते हैं, जिसमें 14 महिलाएं एवं 7 पुरुष लोक कलाकार शामिल होते हैं। इस नृत्य की शुरूआत झारखंडी जोहार से होती है, जिसमें दर्शकों का लोकरीति से स्वागत एवं अभिनंदन किया जाता है। इसके पश्चात मांगे पर्व, बाहा पर्व, जंगल में शिकार का दृश्य, गोबर का छिड़काव, धान बुनना, धान रोपना, हेरोअ: पर्व, धान काटना, मछली पकड?ा, नहाना, फूल तोड़कर लगाना, हडि?ा पिलाना, जोड़ी बनाना, संदेश, परिवार नियोजन, अंतिम सलामी और टाटा-टाटा इस नृत्य में प्रस्तुतियों के अलग-अलग चरण हैं।
झारखंड से आए हो सांस्कृतिक दल के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ आने पर प्रशंसा जाहिर करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा के विषय में बहुत सुन रखा था, आज यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है, हम सभी अपनी प्रस्तुति के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन में शामिल होने हेतु आमंत्रित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का धन्यवाद किया है।