एसजीएसआइटीएस के 20 से ज्यादा विद्यार्थियों को 40 लाख रुपये का पैकेज
इंदौर
कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा नुकसान विद्यार्थियों को हुआ। करीब दो वर्ष तक सब घरों में कैद रहे और पूरी शिक्षा आनलाइन ही मिलती रही। इससे उन कोर्सेस के विद्यार्थियों के लिए संकट खड़ा हो गया था जिन्हें कालेज की लैब में प्रैक्टिकल कार्य करने थे। यह संभव नहीं हो पाया तो माता-पिता से लेकर कालेज के अधिकारियों तक को यह डर बन गया कि प्रैक्टिकल पढ़ाई पूरी नहीं होने के कारण नौकरी पर संकट आ जाएगा। हालांकि, प्लेसमेंट प्रक्रिया की बारी आई तो कंपनियों ने महामारी की परेशानियों को समझकर विद्यार्थियों के पैकेज में कोई कमी नहीं की।
इंदौर के सबसे बड़े श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एसजीएसआइटीएस) के 20 से ज्यादा विद्यार्थियों को 40 लाख रुपये से ज्यादा का पैकेज आफर हुआ। कुछ विद्यार्थियों को 44 लाख के पैकेज पर नौकरी मिली है। कुल एक हजार विद्यार्थियों को नौकरियां मिलीं और इसका प्रतिशत भी 95 रहा। नौकरी पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी कोई असर नहीं पड़ा। कालेज में 100 से ज्यादा ऐसे विद्यार्थी हैं जिन्हें 20 लाख रुपये से ज्यादा का पैकेज आफर हुआ है।
माइक्रोसाफ्ट, अमेजन और सैमसंग जैसी कंपनियां आईं – एसजीएसआइटीएस में कोरोना महामारी के बाद इस वर्ष कई नामी कंपनियां आईं। इनमें आइटी और बैंकिंग क्षेत्र की कंपनियों की संख्या ज्यादा रही। माइक्रोसाफ्ट, अमेजन, सैमसंग, एम डाक्स, डीएक्ससी, ड्यूश बैंक जैसी कई नामी कंपनियों के साथ ही देश की ज्यादातर आइटी कंपनियाें ने संस्थान के विद्यार्थियों को नौकरी आफर की।
कोरोना के कारण तनाव में थे विद्यार्थी और स्वजन – संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश सक्सेना का कहना है कि महामारी के बीच विद्यार्थी और माता-पिता बहुत तनाव में आ गए थे। उन्हें लग रहा था कि कालेज में एक भी दिन नहीं जा पाए। ऐसे में पढ़ाई का लगातार नुकसान हो रहा था। बच्चों का प्रैक्टिकल कराने के लिए हमने बाद में अतिरिक्त कक्षाएं लगाई। इसका असर प्लेसमेंट पर भी दिखाई दिया। आइआइटी इंदौर में भी दो वर्ष तक विद्यार्थी परिसर में नहीं आ पाए। हालांकि, इसका प्लेसमेंट प्रक्रिया पर कोई असर नहीं हुआ। संस्थान में इस वर्ष 110 कंपनियां आई और 56 लाख रुपये का उच्चतम पैकेज गया। आइआइएम इंदौर का पैकेज 49 लाख रुपये और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का उच्चतम पैकेज 57 लाख रुपये सालाना रहा।