ईडी ने बिशप पीसी सिंह और उसके बेटे पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया
भोपाल
जबलपुर के बिशप पीसी सिंह (Bishop PC Singh news) और उनके परिवार के खिलाफ ईडी ने कथित अनियमितताओं की जांच के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। यह केस भोपाल ईडी ने दर्ज किया है। ईडी ने मामले में बिशप पीसी सिंह और उनके बेटे के खिलाफ चल रही ईओडब्ल्यू की जांच के आधार पर यह मामला दर्ज किया है। ईओडब्ल्यू की टीम को उनके घर की तलाशी के दौरान दो करोड़ रुपये मिले थे। साथ ही विदेशी मुद्रा भी मिले थे।
वहीं, भोपाल इकाई के अधिकारियों ने ईओडब्ल्यू चीफ अजय शर्मा से मुलाकात कर अभियान की जानकारी ली है। बिशप सिंह से आईपीसी की धारा 406, 420, 468, 471, 120-बी और धारा 7 के तहत हिरासत में हैं। ईओडब्ल्यू के एक अधिकारी ने कहा कि हमने ईडी के साथ जरूरी जानकारियां साझा की हैं। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद ही निगरानी कर रहे थे। इसके साथ ही अन्य एजेंसियां भी दाऊद के संदिग्ध सहयोगी रियाज भाटी के साथ उनके सौदों की जांच कर रही हैं। छत्तीसगढ़ के आरटीआई कार्यकर्ता नीलेश लॉरेंस की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने बिशप के खिलाफ जांच शुरू की थी।
बिशप पर आरोप है कि 2016 में उसने भाटी को सीएनआई की एक प्रमुख संपत्ति पट्टे पर दी थी। विचाधीन संपत्ति सीएनआई का जिमखाना है, जो एक ब्रिटिश युग की इमारत है, जिसे लगभग तीन करोड़ रुपये में पट्टे पर दिया गया था। आरटीआई एक्टिविस्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र के ऑफिस और ईडी को शिकायत भेजकर जांच की मांग की थी। मंगलवार को एमपी हाईकोर्ट ने सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सरकारी वकील ने तर्क दिया था कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। संस्थानों पर नियंत्रण रखने वाले बिशप सिंह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
वकीलों ने कहा कि ऐसे दस्तावेज और गवाहों के बयान रेकॉर्ड में हैं जो दर्शाते हैं कि उनके बेटे ने गवाहों को धमकाने और अपने पिता को क्लिन चीट देने के लिए उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की है। दलील सुनने के बाद अदालत ने जमानत के आदेश को खारिज कर दिया है। अब चार्जशीट दाखिल होने के बाद वह जमानत की कोशिश कर सकता है।
आरोपों के अनुसार सिंह चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया के मॉडरेटर और जबलपुर डायोसिस के बिशप हैं। सहायक रजिस्ट्रार के साथ मिलकर नागपुर डायोसेसन बोर्ड का नाम बदल दिया। नागपुर बोर्ड की इसने सहमति भी नहीं ली थी। इसने जाली प्रमाण पत्र तैयार किया और खुद को सोसाइटी का अध्यक्ष नियुक्त कर लिया है। सोसाइटी अध्यक्ष के रूप में इसने पद का दुरुपयोग किया है। इसने शैक्षणिक संस्थानों का पैसा धार्मिक संस्थाओं में लगाया है।