दिल्ली MCD चुनाव की समस्त बड़ी बातें जो आपको जानना जरुरी
नई दिल्ली
दिल्ली नगर निगम की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. चुनाव आयोग ने इस बार कंडीडेट से लेकर वोटर्स तक की सुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयारियां की हैं. शुक्रवार को दिल्ली चुनाव आयुक्त विजय देव ने इस संबंध में जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि दिल्ली MCD चुनाव में 7 नवंबर से नामांकन शुरू हो जाएंगे. नामांकन की आखिरी तारीख 14 नवंबर है. उसके बाद 16 नवंबर तक नामांकन पत्र की स्क्रूटनी होगी. नामांकन पत्र वापसी की आखिरी तारीख 19 नवंबर होगी.
4 दिसंबर वोटिंग होगी और 7 दिसंबर को नतीजे आएंगे. आईए जानते हैं इस बार के एमसीडी चुनाव में क्या है खास…
पहले 272 वार्ड थे, अब कम हो गए 22 वार्ड
एमसीडी चुनाव में वार्डों की संख्या कम कर दी गई है. इससे पहले चुनाव में 272 वार्ड में चुनाव हुए थे, लेकिन, परसीमन के बाद वार्ड की संख्या घट गई है. इस बार 250 वार्ड (पार्षद) में चुनाव होंगे. दरअसल, दिल्ली नगर निगम को तीन अलग-अलग जोन उत्तरी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली में विभाजित किया गया है. इन तीनों जोन को मिलाकर हर पांच साल में MCD में चुनाव होते हैं. पहले उत्तरी और दक्षिण नगर निगम 104-104 पार्षद सीटों की संख्या थीं. वहीं, पूर्वी दिल्ली में 64 सीटें थीं, लेकिन परिसीमन के बाद सीटों की संख्या घट गई है.
इन दो विधानसभा सीटों पर चुनाव नहीं होंगे
दिल्ली में 70 विधानसभा सीटें हैं. लेकिन, एमसीडी के चुनाव सिर्फ 68 विधानसभा सीटों पर होने हैं. चुनाव आयोग ने बताया कि दिल्ली कैंट और दिल्ली विधानसभा एमसीडी से बाहर हैं, इसलिए इन दोनों सीटों पर नगर निगम के चुनाव नहीं होंगे.
एमसीडी में 42 सीटें रिजर्व
दिल्ली नगर निगम की कुल 250 पार्षद सीटों में से 42 सीट को अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित किया गया है. वहीं, 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रहेंगी. इस तरह महिलाओं, ओबीसी और सामान्य वर्ग वाली पार्षद सीटें होंगी. एमसीडी में सामान्य वर्ग के वार्डों में 50 प्रतिशत वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इस तरह से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्डों में महिलाओं के लिए 21 वार्ड और सामान्य वर्ग 104 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे.
'निगम चुनाव दिल्ली ऐप'
दिल्ली चुनाव आयोग ने एक ऐप लॉन्च किया है. MCD के चुनाव में इस ऐप के जरिए मतदाता को पूरे चुनाव से जुड़ी जानकारी मिल सकेगी. ये ऐप विधानसभा चुनावों में सी विजिल ऐप की तरह है. निगम चुनाव दिल्ली ऐप में कोई भी सिटीजन अपना नाम देख सकता है. इसके साथ ही अपनी पोलिंग स्टेशन जान सकता है. इलाके के कंडीडेट का नाम और उसकी पूरी जानकारी पता कर सकता है. इतना ही नहीं, आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत कर सकते हैं. चुनाव आयोग की टीम इस ऐप के जरिए निगरानी करेगी. इसके अलावा, एक पोर्टल होगा. इसके जरिए उम्मीदवार सभी तरह की जरूरी ऑनलाइन परमीशन ले सकते हैं.
जेब ढीली कर सकेंगे कंडीडेट, यानी चुनावी खर्चा बढ़ाया गया
इस बार के चुनाव में कंडीडेट को जेब ढीली करने का मौका मिला है. चुनाव आयोग ने खर्चे की लिमिट बढ़ा दी है. अब उम्मीदवार पहले से ज्यादा खर्च कर सकेगा. चुनाव आयोग ने बताया कि उम्मीदवार पूरे चुनाव में 5.75 लाख रुपए तक खर्च कर सकता था. अब इसे बढ़ाकर 8 लाख रुपए तक कर दिया गया है.
दिल्ली चुनाव की क्या तैयारियां
- कुल मतदान केंद्र- 13 हजार 665
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन- 55 हजार से ज्यादा ईवीएम
- उम्मीदवार का फोटो भी EVM पर उपलब्ध होगी
- 1 लाख से ज्यादा स्टाफ की तैनाती होगी.
- हर विधानसभा में एक रिटर्निंग ऑफिसर होगा. यानी 68 आरओ होंगे.
- प्रत्येक सीट पर एक सामान्य पर्यवेक्षक और एक व्यय (expenditure observer) पर्यवेक्षक होंगे.
- आज से आदर्श आचार संहिता लागू हो गई. तत्काल प्रभाव से अवैध होर्डिंग्स व पोस्टर हटाए जाएंगे.
- रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर नहीं बजा सकेंगे.
- उम्मीदवार अपने नामांकन 68 स्थानों पर कर सकेंगे. इसके लिए सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक समय निर्धारित किया गया.
- चुनाव में 250 एआरओ होंगे. 2 हजार सेक्टर मजिस्ट्रेट होंगे.
- चुनाव में एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों की तैनाती होगी. इनमें पुलिस भी शामिल होगी.
पहले इतनी थी वार्डों की संख्या
दिल्ली में 1 जनवरी 2022 तक करीब 1.48 करोड़ मतदाता थे. गृह मंत्रालय (MHA) ने बीते मंगलवार को एमसीडी के परिसीमन के बाद नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके बाद एमसीडी चुनाव को लेकर रास्ता साफ हो गया था. गृह मंत्रालय द्वारा जारी 800 पन्नों के नोटिफिकेशन में कहा गया कि दिल्ली में नगर निगम के वार्डों की संख्या अब 250 होगी. नगर पालिका के एकीकरण से पहले 70 विधानसभा क्षेत्रों में 272 वार्ड हुआ करते थे.
निगमों का एकीकरण
दिल्ली में इस बार सरकार ने निगमों का एकीकरण कर दिया है. हालांकि निगम और सशक्त हो, जनता को ज्यादा लाभ मिले इसके प्रावधान एमसीडी एकीकरण एक्ट में नहीं हैं. इसके अलावा एक्ट में निगम के दिवालिया होने की वजह, पार्षदों और मेयर को पावरफुल बनने या मिलने वाले नए अधिकारों का कोई जिक्र नहीं है.