नीमच में हर महीने 3 हजार से ज्यादा यूनिट बिजली पैदा हो होगी
नीमच
| मध्य प्रदेश के नीमच शहर के दो प्रमुख कॉलेजों ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का उदाहरण पेश किया है। यह कॉलेज अब सूरज से सहेजी हुई किरणों से स्वयं के लिए बिजली पैदा कर रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में ना तो कॉलेज और ना ही प्रशासन का एक रुपया खर्च हुआ। इतना ही नहीं, खपत से ज्यादा बिजली उत्पन्न होने पर कॉलेज उसे बेच भी सकेगा। अब अगली कड़ी में जिले के सभी शासकीय कॉलेजों में यह नवाचार किया जाएगा। आज के आधुनिक युग में अक्षय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित बिजली के उपयोग से जीरो प्रतिशत प्रदूषण फैलता है। यह कभी न फेल होने वाली टेक्नोलॉजी है। भविष्य में अधिकांश उद्योगों का संचालन इसी से किया जाएगा।
सरकार की योजना के तहत साल 2018 में उच्च शिक्षा विभाग व ऊर्जा विकास निगम का समझौता हुआ। जिसके तहत प्रदेशभर के कॉलेजों में सोलर पैनल सिस्टम लगाए जाने की योजना बनाई गई। इसके लिए प्रदेश सरकार ने एक निजी कंपनी से अनुबंध किया। साथ ही, कंपनी ने शहर के अग्रणी स्वामी विवेकानंद शासकीय कॉलेज तथा सीताराम जाजू शासकीय कन्या कॉलेज की छत पर 25-25 किलोवाट के सोलर प्लांट लगाए। प्लांट लगाने का कार्य कंपनी ने अपने खर्च पर किया। इसमें प्रशासन व कॉलेज का एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ। कंपनी ने केवल कॉलेज की छत का उपयोग किया। प्लांट लगने के बाद से देश में कोरोना वायरस फैल गया। इस वजह से प्रदेश में अन्य जगह यह कार्य अधूरा रह गया। लेकिन नीमच शहर के दोनों प्रमुख कॉलेज ने अब बिजली कंपनी से समन्वय बनाकर सोलर प्लांट से बिजली पैदा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बिजली उत्पादन के मामले में शहर के दोनों प्रमुख कॉलेज अब आत्मनिर्भर बन चुके हैं।
शहर के दोनों कॉलेज की छत पर 25-25 किलोवाट के सोलर प्लांट लगाए है। इसमें 50 से ज्यादा सोलर प्लेट लगी है। इनसे प्रति माह 3 हजार से ज्यादा यूनिट बिजली पैदा हो रही है। जो कॉलेज में खपत होने वाली बिजली से ज्यादा है।
कॉलेज के साथ कंपनी को भी पहुंचेगा फायदा सोलर प्लांट लगाने से पहले अनुमानित 30 हजार रुपए प्रतिमाह बिजली का बिल आता था। सोलर प्लांट लगे डेढ़ माह हो गया। जितनी बिजली की जरूरत कॉलेज को होगी, उतनी का उपयोग कर अतिरिक्त उत्पादित बिजली सोलर प्लांट लगाने वाली कंपनी एमपीईबी को बेच देगी, जिससे कॉलेज को भी फायदा होगा। साथ ही, कंपनी बिजली बेचकर मुनाफा भी कमा पाएगी।