बिल्डरों द्वारा भुगतान में देरी पर SC ने 8% ब्याज दर की सीमा के आदेश को लिया वापस
नई दिल्ली
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिल्डरों द्वारा भूमि की लागत के भुगतान में देरी के लिए अपने 2020 के आदेश को वापस ले लिया। प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित ने जून 2020 के उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों द्वारा भूमि की कीमत के भुगतान में देरी पर 15-23 प्रतिशत की ब्याज दर को 8 प्रतिशत पर सीमित करने का आदेश दिया गया था।
सुनवाई के दौरान नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने शीर्ष अदालत को बताया कि भुगतान में देरी के लिए ब्याज दर को लगभग 8 प्रतिशत पर ही सीमित करने के आदेश से प्राधिकरणों को 7,500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होगा।
कुमार ने कहा कि इस आदेश से प्राधिकरणों को नुकसान और बिल्डरों को लाभ होगा।
अधिकारियों ने पिछले साल सितंबर में शीर्ष अदालत से अपने आदेश को वापस लेने का आग्रह किया था।
महामारी के बीच जून 2020 में शीर्ष अदालत ने ब्याज को सीमित रखने के पीछे आवास परियोजनाओं को गति देने की आवश्यकता का हवाला दिया था, लेकिन अधिकांश परियोजनाएं अब भी अधूरी हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि बकाया प्रीमियम और अन्य देय राशि पर ब्याज की दर 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वसूल की जाए और नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के अधिकारियों को पुनर्भुगतान अनुसूची का पुनर्गठन करने दिया जाए, ताकि राशि का भुगतान किया जा सके।