खजुराहो में आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी 2 दिन में ही समाप्त कर दी
- लाखों की बजट राशि लग जाती है ठिकाने
- जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी भोपाल का आयोजन
- लोक अलंकरण विषय पर आयोजित की गई थी संगोष्ठी
खजुराहो
विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो में जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी,भोपाल द्वारा तीन दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था,जो विभाग द्वारा 2 दिन में ही समाप्त कर दी गई,आज तीसरे दिन जब आयोजन संबंधी जानकारी ली गई तो विभाग के प्रबंधक-भास्कर पारके ने बताया कि संगोष्ठी तो कल ही समाप्त हो गई,संगोष्ठी का आयोजन स्थल आदिवर्त जनजातीय एवं लोककला संग्रहालय था लेकिन संगोष्ठी होटल झंकार में कराई गई,जिसकी स्थानीय स्तर पर जानकारी भ्रमित रही,गौरतलब है कि इस तरह के आयोजनों को खजुराहो में कराने के पीछे का मुख्य उद्देश्य ऐंसे कार्यक्रमों से देशभर से आए विभिन्न विषय के विद्वानों द्वारा व्यक्त किए विचारों से स्थानीय वासियों,पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों को जानकारी अर्जित होती है,जिसका खजुराहो आनेवाले देशी-विदेशी पर्यटकों के माध्यम से प्रसार होता है,उक्त कार्यक्रम को भी खजुराहो में कराने के पीछे भी यही उद्देश्य रहा है,परंतु इस उद्देश्य को पूरा करने में विभागीय अधिकारियों की भूमिका संदेहास्पद प्रतीत होती है,इसलिए तो आयोजन का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार नहीं किया गया,गौरतलब है कि ऐंसे कार्यक्रमों के लिए लाखों रुपए की राशि स्वीकृत होती है जिसका बड़ा हिस्सा विभागीय अधिकारी ठिकाने लगा देते हैं,इस संबंध में आदिवर्त संग्रहालय खजुराहो के प्रबंधक भास्कर पारके ये नहीं बता पाए कि संगोष्ठी में कितने विषय विद्वान आये थे,उन्होंने बताया कि उनका काम स्थानीय स्तर पर टेन्ट सहित आवश्यक व्यवस्थाओं से संबंधित लोगों को उपलब्ध कराने तथा न्यूज़ या विज्ञप्ति देने तक ही सीमित है,हालांकि इस संबंध में प्रभारी अधिकारी-अशोक मिश्रा से भी संपर्क किया गया तो उन्होंने भी कार्यक्रम की सही जानकारी देने में अनविज्ञता जाहिर करते हुए भास्कर पारके से बात करने का बोल दिया।
कुलमिलाकर विभाग की लापरवाही के चलते देशभर से आए विभिन्न विषय के विद्वानों का सानिध्य पाने में स्थानीयता अनविज्ञ रही।
इस संबंध में जानकारी लेने विभाग के निदेशक धर्मेन्द्र पारे को मोबाईल पर सम्पर्क किया तो कवरेज के बाहर था।