November 27, 2024

दो दिवसीय मूलनिवासी कला, साहित्य और फिल्म फेस्टिवल भिलाई में 12 से

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भिलाई

सामाजिक आर्थिक बदलाव के लिए कार्यरत गैर राजनीतिक संस्थाओं एवं व्यक्तियों के स्वस्फूर्त संयुक्त प्रयास से मूलनिवासी कला साहित्य और फिल्म फेस्टिवल 2022 का आयोजन 12 व 13 नवंबर को नेहरू सांस्कृतिक सदन सेक्टर 1 भिलाई में होने जा रहा है। आयोजन की तैयारियां वृहद स्तर पर जारी है। सामाजिक क्षेत्र के सभी प्रमुख लोगों को आयोजन से जुड़ी जिम्मेदारियां बांट दी गई है। बीती शाम आयोजन समिति की एक बैठक सड़क 8 सेक्टर 4 में हुई जिसमें आयोजन की जानकारी दी गई।

संयुक्त आयोजन समिति की ओर से एल. उमाकांत और सुनील रामटेके ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पहले दिन उद्घाटन सत्र 12 नवंबर शनिवार को सुबह 10 बजे होगा जिसमें कला प्रदर्शनी, कविता-पोस्टर, नृत्यकला, गीत गायन के अलावा अतिथियों के व्याख्यान होंगे। दोपहर 1:30 से समूह गीतों की प्रस्तुति होगी। इसके बाद दोपहर 2 बजे से लघु फिल्मों का प्रदर्शन होगा जिसका संयोजन शेखर नाग एवं एलेक्स शाक्य करेंगे।

दोपहर में भारत का संविधान और आदिवासियों के अधिकार विषय पर महाराष्ट्र से आ रहे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक तथा आदिवासी मुद्दों के नामी पैरोकार लटारी कवडू मडावी अपना उद्बोधन देंगे।इसके बाद शाम 4 बजे से सासाराम बिहार से आ रहे बौद्ध कालीन पुरातत्व के प्रख्यात अध्येता, इतिहासकार और भाषा वैज्ञानिक प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद सिंह प्राचीन भारत का इतिहास और सभ्यता का पुनरावलोकन विषय पर अपनी बात रखेंगे। शाम 5:30 बजे से राष्ट्र निमार्ता डॉ भीमराव अंबेडकर की पत्नी के योगदान को दशार्ता देश भर में प्रसिद्ध नाटक रमाई का मंचन नागपुर की ऊषा ताई बौद्ध द्वारा होगा।इसके उपरांत शाम 6 बजे से, मुंबई से आ रहे, अपने जन केंद्रित गीतों और गायन के एक अलग अंदाज के लिए विख्यात लोक शाहिर संभाजी भगत और उनके साथियों की संगीतमय प्रस्तुति होगी। रात 8:30 बजे से मूलनिवासी कवि सम्मेलन रखा गया है जिसका संयोजन छत्तीसगढ़ के ख्याति लब्ध कवि लक्ष्मीनारायण कुंभकार सचेत करेंगे।

दूसरे दिन 13 नवंबर रविवार को सुबह 9:30 बजे से लोकनृत्यों की प्रस्तुति होगी। सुबह 10 बजे कला प्रदर्शनी , कला तथा कलाकारों का परिचय शिल्पकार राजेंद्र सुनगरिया द्वारा होगा। सुबह 10:30 बजे से स्कूली बच्चों द्वारा नाटक की प्रस्तुति होगी। इसके उपरांत 11 बजे से मूलनिवासी युवा वर्ग के सामने भविष्य की चुनौतियां विषय पर मोटिवेशनल स्पीकर एनसीआर दिल्ली के डॉक्टर नरेंद्र सिंह युवाओं से बातचीत करेंगे।

दोपहर 12 बजे छत्तीसगढ़ी लोक गायक यशवंत सतनामी का गायन होगा। दोपहर 12:30 लेखक संजीव खुदशाह  वे दस किताबें जो बदल सकती हैं मूलनिवासी युवाओं का भविष्य  विषय पर संवाद करेंगे। दोपहर 1 से भीम गीतों की प्रस्तुति होगी। दोपहर 2 बजे दुर्ग निवासी राकेश बम्बार्डे के निर्देशन में नाटक  वे आरक्षण से क्यों डरते हैं? का मंचन होगा। दोपहर 2:45 बजे से फिल्म निर्देशक सुबोध नागदेवे मूलनिवासी युवाओं के लिए फिल्मों में काम तथा रोजगार के अवसर विषय पर संवाद करेंगे। दोपहर 2:30 से सामूहिक पंथी नृत्य होगा। शाम 4 बजे से स्कूली बच्चों का फैंसी ड्रेस के साथ हमारे पुरखों के संवाद का आयोजन होगा।
इसके उपरांत आदिवासी समूह नृत्यों की प्रस्तुति की जाएगी। शाम 5 बजे से मूलनिवासी युवाओं द्वारा रैदास एवं कबीर के पदों की प्रस्तुति होगी। शाम 5:30 बजे से पांचवी अनुसूची की विशेषताएं तथा आदिवासी क्षेत्रों में इसके प्रभावी क्रियान्वयन में आने वाली बाधाएं विषय पर सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका झारखंड की कुलपति प्रोफेसर सोनझरिया मिंज का संवाद होगा। शाम 7 बजे से हैदराबाद निवासी प्रसिद्ध समाज वैज्ञानिक कांचा इलैया अपने उद्बोधन में वर्तमान सामाजिक धार्मिक और राजनीतिक समस्याएं और उनका मूल निवासी समाधान विषय पर अपनी बात रखेंगे। इसके उपरांत प्रतिभागी कलाकारों और सामाजिक कार्यकतार्ओं के सम्मान का कार्यक्रम रखा गया है और रात 10 बजे आभार के साथ आयोजन का समापन होगा। आयोजन की तैयारी बैठक में एल उमाकांत, सुनील रामटेके के साथ प्रभाकर खोबरागड़े, गिलबर्ट जोसफ, लक्ष्मी नारायण कुंभकार, मोहन राव, सविता बौद्ध, सिंधू वैद्य, किरण सुखदेवे, एलेक्स शाक्य, एस पी निगम, सुधीर रामटेके और संदीप पाटिल आदि नागरिक गण उपस्थित थे।

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