November 26, 2024

ब्रिटेन से लाएंगे शिवाजी महाराज की ‘जगदंबा’ तलवार, शिंदे सरकार बोली- सुनक ने जगाई उम्मीद

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मुंबई
 
ब्रिटेन में भारतवंशी ऋषि सुनक की प्रधानमंत्री पद के लिए ताजपोशी भारतीय राज्यों की कुछ सरकारों के लिए अच्छी खबर लेकर आई है। महाराष्ट्र सरकार को उम्मीद जगी है कि उनकी वर्षों पुरानी मांग अब पूरी हो सकती है। राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि राज्य सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज की 'जगदंबा' तलवार को साल 2024 से पहले वापस लाने के लिए ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के साथ विचार-विमर्श करेगी। गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री मुनगंटीवार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “जब ऋषि सुनक यूके के पीएम बने वैसे ही हमने केंद्र सरकार के साथ पत्राचार शुरू किया। अंग्रेजों ने अपने लालच के कारण शिवाजी महाराज की तलवार यहां से ले ली थी, क्योंकि वह हीरों से लदी थी। लेकिन हमारे लिए यह अमूल्य और अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह छत्रपति शिवाजी महाराज की तलवार थी।”

सबसे पहले कब उठी थी यह मांग
उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की तलवार की वापसी से उनके विभाग द्वारा राजा शिवाजी के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोहों को और बढ़ावा मिलेगा। तलवार के लन्दन की यात्रा का वर्णन करने वाली पुस्तक लिखने वाले इतिहासकार इंद्रजीत सावंत के अनुसार तलवार को वापस लाने की मांग बहुत पुरानी है और सबसे पहले लोकमान्य तिलक ने इसे उठाया था।
 
जब अंग्रेजों ने तलवार के नाम पर गच्चा दे दिया था
इतिहासकार सावंत ने बताया, “मांग तब भी उठाई गई जब यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और फिर जब एआर अंतुले सीएम थे। लेकिन, तलवार को भारत लाने में समस्या तब हुई जब तलवार को 'भवानी' तलवार कहा जाने लगा। इस नाम की तलवार सतारा में पहले से मौजूद है और तब अंग्रेजों ने बहाना बनाया कि इस नाम की तलवार तो पहले से भारत में मौजूद है। उसके बाद तलवार की मांग थम गई।”

प्रिंस ऑफ वेल्स को अनूठे हथियारों का शौक
सावंत के अनुसार, प्रिंस ऑफ वेल्स को हथियार इकट्ठा करने का शौक था और उन्होंने इस तलवार सहित कुछ को शॉर्टलिस्ट किया था, जिसे उन्होंने तत्कालीन राजा को उपहार देने के लिए मजबूर किया। सावंत आगे कहते हैं कि इस तलवार को 1875-76 में शिवाजी चतुर्थ ने प्रिंस ऑफ वेल्स को उपहार स्वरूप दिया था। करवीर के छत्रपति के पास यह तलवार थी, जिसका इस्तेमाल शिवाजी महाराज ने किया था। हम ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि उनके शस्त्रागार की सूची आज भी उपलब्ध है, जिसमें इस तलवार को शिवाजी महाराज की तलवार के रूप में वर्णित किया गया है।

 

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