September 24, 2024

महंगाई में नरमी के संकेत, अक्टूबर की मुद्रास्फीति में आ सकती है तेज गिरावट

0

नई दिल्ली।  
खुदरा महंगाई में अक्टूबर के आंकड़ों में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है। यह सितंबर के 7.41 फीसदी के मुकाबले अक्टूबर में घटकर 6.73 फीसदी रह सकती है। रायटर्स के पोल में अर्थशास्त्रियों ने यह राय जाहिर की है।

इसमें कहा गया है कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई में गिरावट के बावजूद भी इसके आरबीआई के लक्ष्य से अधिक रहने के आसार हैं। रायटर्स के पोल में 47 अर्थशास्त्रियों ने हिस्सा लिया। इसे दो से नौ नवंबर के बीच किया गया। इसमें कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें कम बढ़ने और एक साल पहले के मजबूत आधार की वजह से अक्टूबर में खुदरा महंगाई घटने का अनुमान है।

इस सर्वे में शामिल तीन-चौथाई अर्थशास्त्रियों का मानना था कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई साथ फीसदी से कम रहेगी। इनका अनुमान है कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई 6.4 से 7.35 फीसदी के बीच रह सकती है। इस साल अप्रैल में यह 7.79 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
 
उल्लेखनीय है कि महंगाई पर अंकुश के लिए आरबीआई मई से लगातार रेपो दर बढ़ा रहा है। तब से अब तक वह रेपो दर 1.90 फीसदी बढ़ा चुका है। इससे रेपो दर 5.90 फीसदी पर पहुंच गई है। रायटर्स का हालिया पोल के मुताबिक, अगले साल मार्च तक केंद्रीय बैंक रेपो दर में और 0.50 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। इससे रेपो रेट 6.4 फीसदी पर पहुंच जाएगा। डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी की वजह से भी कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि आरबीआई रुपये की मजबूती के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है। वह विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर बेच रहा है। इस साल अबक तक डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 9 फीसदी गिर चुका है।

हालात में अचानक सुधार आने का संकेत नहीं है
अर्थशास्त्रियों का हालांकि, यह भी का कहना है कि महंगाई के लिहाज से हालात में अचानक सुधार आने का संकेत नहीं है। लेकिन, इससे यह संकेत मिलता है कि कीमतों पर दबाव में धीरे-धीरे कमी आ रही है। इसमें कहा गया है कि भारत में खुदरा महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। लेकिन, इसमें कमी आने की रफ्तार बहुत सुस्त होगी। उनका कहना है कि यह बहुत जल्द चार फीसदी पर नहीं आएगी और अगले 2-3 साल में इसकी उम्मीद नहीं है।

ब्याज दरें बढ़ने की आशंका
रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई को दो से छह फीसदी के बीच रखने का लक्ष्य दिया गया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जब तक खुदरा महंगाई आरबीआई के तय लक्ष्य के दायरे में नहीं आ जाती है तब तक रेपो दरों में बढ़ोतरी का दबाव बना रहेगा। रिजर्व बैंक मई से अब तक रेपो दर 1.90 फीसदी बढ़ा चुका है।

आपूर्ति में सुधार करना हरोगा
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि आरबीआई तब तक रेट बढ़ाता रहेगा, जब तक उसे यह भरोसा नहीं हो जाता कि महंगाई फिर से नहीं बढ़ेगी। हालांकि, हमें नहीं लगता कि दरें बढ़ाने से महंगाई में कमी आई है। इसमें कमी आने की बड़ी वजह कुछ चीजों की आपूर्ति में सुधार है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *