खतौली उप चुनाव में रालोद प्रत्याशी मदन भैया कौन हैं? सियासत में कितनी मजबूत पकड़
बागपत
डेढ़ दशक पहले तक प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट रही बागपत की खेकड़ा विधानसभा सीट पर दिग्गज मदन भैया का सिक्का चलता था। नए परिसीमन के बाद जब इस सीट को खत्म करके बागपत और मोदीनगर में शामिल करके लोनी की नई सीट को बनाई गई तो मदन भैया की राजनीतिक पकड़ भी कमजोर होती चली गई।
11 सितंबर 1959 को जावली गांव में गुर्जर परिवार में जन्मे मदन भैया अपने पढ़ाई के दौरान ही दबंग छवि के साथ उभरने लगे थे। 1989 में जब जेल में रहते हुए उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव खेकड़ा सीट से लड़ा था तब सभी राजनीतिक दल उनको हलके में ले रहे थे। इस चुनाव में मदन भैया की हार जरूर हुई, मगर दूसरे स्थान पर रहकर उन्होंने सभी को चौका दिया था।
लोकदल के प्रत्याशी को हराया :
1991 का विधानसभा चुनाव वह फिर जनता दल के टिकट पर में खेकड़ा सीट से लड़े। इस बार भी उन्होंने जेल से चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से लोकदल के प्रत्याशी रिछपाल बंसल को हरा दिया। यहीं से मदन भैया की राजनीति में धमाकेदार एंट्री हुई। 1993 के विधानसभा चुनाव में फिर वे खेकड़ा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और समाजवादी के टिकट पर चुनाव लड़कर फिर से जीत दर्ज की।