आयुष घोटाले में 22 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ एसटीएफ को मिले सबूत; मेरिट और काउंसलिंग के डॉटा में मिला फर्क
लखनऊ
आयुष निदेशालय और काउंसलिंग करने के लिए अधिकृत एजेन्सी अपट्रॉन व वी-थ्री सॉफ्ट सॉल्यूशन के 22 अधिकारी और कर्मचारियों को एसटीएफ की पड़ताल में दोषी पाया गया है। इनके खिलाफ साक्ष्य भी मिल गये हैं। नीट की मूल मेरिट और काउंसलिंग में इस्तेमाल डॉटा बेमेल पाया गया था। किस तरह से डाटा में हेरफेर किया गया और वास्तविक अभ्यर्थियों को आउट कर दिया गया, इस बारे में भी कई तथ्य हाथ लगे हैं। पांच दिन में एसटीएफ मुख्यालय में डॉटा मिलान और कई अफसरों-कर्मचारियों के बयान सुबूत में अहम कड़ी बने। अब एसटीएफ दोषियों पर कार्रवाई की संस्तुति करने से पहले विधिक राय लेने की बात कह रही है।
एसटीएफ ने इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद सबसे पहले निदेशालय के डायरेक्टर डॉ. एसएन सिंह से पूछताछ की थी। इसी बीच एसएन सिंह निलम्बित कर दिए गए। सिंह से कई तथ्य हाथ लगने के बाद एसटीएफ ने डॉटा खंगालने शुरू किए तो तफ्तीश उलझती गई। इस पर आईटी विशेषज्ञों को बुलाकर डॉटा का मिलान कराया गया। काफी मंथन के बाद इसमें भी कई सुबूत हाथ लगे।
एसटीएफ दो दिन पहले देर शाम अचानक गोमतीनगर स्थित राजकीय होम्योपैथिक कालेज पहुंची थी। यहीं पर आयुष दाखिले के लिए काउंसलिंग की गई थी। यहां मिले सबूत के आधार पर शनिवार को एसटीएफ ने अचानक डॉ. एसएन सिंह को बुलाया और उन्हें लेकर आयुर्वेद निदेशालय पहुंची। यहां सीसी फुटेज खंगाले।
सीबीआई को मामला देने की वजह से जांच में तेजी नहीं
एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि सीबीआई जांच के आदेश हो चुके हैं। कभी भी सीबीआई इस केस को अपने हाथ में ले सकती है। इस वजह से एसटीएफ कई सुबूत हाथ लगने के बाद भी तेजी नहीं दिखा रही है। वह सोमवार को सुबूतों के आधार पर विधिक राय लेगी।