स्मार्टफोन एप के माध्यम से भूकंप की पूर्व चेतावनी जारी करने की विकसित हो सटीक व्यवस्था
नई दिल्ली
पिछले लगभग एक सप्ताह के दौरान दिल्ली समेत उत्तर भारत के एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस दौरान उत्तराखंड की धरती तीन बार से अधिक कांप चुकी है, परंतु उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप ने एक बार भी अलर्ट नहीं दिया। आपदा प्रबंधन विभाग और आइआइटी रुड़की की ओर से तैयार किए गए इस एप के लांच होने के समय दावा किया गया था कि यह भूकंप की पूर्व चेतावनी दे सकेगा, ताकि जानमाल का नुकसान नगण्य हो सके। इधर जब उत्तर भारत की धरती बार-बार कांप रही है, तो भूकंप से बचने हेतु उसकी भविष्यवाणी का सवाल प्राथमिकता में आ गया है। भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और सूनामी की खबरों को लेकर एक वस्तुस्थिति यह है कि ये हमें अब चौंकाती कम हैं।
वाडिया के विज्ञानियों की चेतावनी
खास तौर से इसलिए, क्योंकि तमाम दावों के बावजूद मोटे तौर पर 2015 के बाद से उत्तर भारत में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। इसकी चेतावनी अनगिनत बार दी जा चुकी है कि पर्वतीय राज्यों खास तौर से उत्तराखंड से लेकर दिल्ली-एनसीआर की जमीन के भीतर बहुत अधिक खिंचाव की स्थिति बन गई है और यहां कभी भी ज्यादा ताकत वाला भूकंप आ सकता है। देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलाजी के विज्ञानियों ने चेताया है कि हिमालय क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है। इसका दुष्प्रभाव बड़े क्षेत्र पर परिलक्षित हो सकता है, इसलिए जान-माल का नुकसान न्यूनतम करने के लिए पहले से बेहतर तैयारी जरूरी है। वाडिया के विज्ञानियों की चेतावनी का समर्थन आइआइटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्राध्यापकों ने भी किया है।
भविष्य में एक बड़े भूकंप के आने की आशंका को दोहराते हुए इन विज्ञानियों ने कहा है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है, जिससे वहां बड़े पैमाने पर ऊर्जा जमा हो गई है और वह कभी भी बड़े विस्फोट के साथ बाहर निकल सकती है जो बड़े भूकंप का कारण बनेगी। भूकंप पर शोध करने वाले वाडिया इंस्टीट्यूट के विज्ञानियों ने हिंदुकुश पर्वत से पूर्वोत्तर भारत तक के हिमालयी क्षेत्र को भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील बताते हुए यह दावा भी किया है कि इन खतरों से निपटने के लिए संबंधित राज्यों में कारगर नीतियां नहीं हैं। चूंकि हाल के सात-आठ वर्षों में कोई बड़ा भूकंप इस क्षेत्र में नहीं आया है, इसलिए इसकी खबरें कोई बड़ी चर्चा नहीं पैदा कर रही हैं। जबकि हर कोई यह जानता है कि पृथ्वी के अंदर चल रही भूगर्भीय हलचलों के कारण ज्वालामुखी विस्फोट से लेकर भूकंप का खतरा सदैव बना हुआ है।