जनजाति गौरव दिवस15 नवंबर बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम जन शिक्षण संस्थान डिंडोरी संपन्न
डिंडोरी
जनजाति गौरव दिवस भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर बिरसा मुंडा स्मारक पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर जनजाति समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता की गई स्मारक स्थल परिसर में विभिन्न जनपद पंचायतों के प्रतिनिधि तथा जनजाति समाज के अग्रणी नेता और समाज सेवक उपस्थित रहे कार्यक्रम में विभिन्न संस्थानों के प्रमुख व प्रतिनिधि उपस्थित रहे मुख्य अतिथि कार्यक्रम जनजाति समाज के श्री उमर सिंह बनवासी धर्म सिंह सरैया शेर सिंह बनवासी अशोक सरैया जी एवं सोनशाह सरैया जी की अतिथि के रूप में गरिमामय उपस्थिति रही l इस अवसर पर कस्तूरबा गांधी छात्रावास एवं नगर के विद्यालयों के छात्रों द्वारा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया संस्थान द्वारा कस्तूरबा कन्या छात्रावास अधीक्षक श्रीमती वंदना करचाम के संयुक्त तत्वाधान में वृक्षारोपण के साथ बिरसा मुंडा जयंती के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई lअपने संबोधन में निदेशक दिवाकर द्विवेदी ने लोगों को संबोधित करते हुए भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि
बिरसा मुंडा का जन्म मुंडा जनजाति के गरीब परिवार में 15 नवम्बर 1875 को झारखण्ड के खुटी जिले के उलीहातु गाँव में हुआ था। पिता-सुगना पुर्ती(मुंडा) और माता-करमी के जो निषाद परिवार से थे, बिरसा साल्गा गाँव में प्रारम्भिक पढाई के बाद चाईबासा जी0ई0एल0चार्च(गोस्नर एवंजिलकल लुथार) विधालय में पढ़ाई किये थे। इनका मन हमेशा अपने समाज लगा रहता था| ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर सोचते रहते थे।1894 में छोटा नागपुर में भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की।
1अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजो से लगान (कर) माफी के लिये आन्दोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। लेकिन बिरसा और उसके शिष्यों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और जिससे उन्होंने अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया।
बिरसा मुंडा के जीवन संघर्ष की कहानी के बारे में बताते हुए श्रीमती रीता मिश्रा ने कहा कि जनवरी 1900 डोम्बरी पहाड़ पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत सी औरतें व बच्चे मारे गये थे। उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे बाद में बिरसा के कुछ शिष्यों की गिरफ़्तारियाँ भी हुईं। अन्त में स्वयं बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल से अंग्रेजों द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया। बिरसा मुंडा को 9 जून 1900 ई को आंग्रेजों द्वारा षड्यंत्र कर मारा गया l 10 नवंबर 2021 को भारत सरकार ने 15 नवंबर यानी बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। कार्यक्रम में संस्थान के अभिषेक अग्रवाल श्रीमती मिथिलेश परस्ते रामकृष्ण गर्ग तथा श्री लक्ष्मी नारायण बर्मन उपस्थित रहे l