रूस ने फिर निभाई दोस्ती दुनिया के सामने भारत को किया मजबूत,लिए अहम फैसले
मॉस्को
रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित 'मॉस्को फॉर्मेट कंस्लटेशन ऑन अफगानिस्तान' (‘Moscow format consultations on Afghanistan’) बैठक में भारत ने भी हिस्सा लिया है. हुई इस बैठक में भारत की ओर से पाकिस्तान-ईरान-अफगानिस्तान डिवीजन के संयुक्त सचिव जे पी सिंह ने हिस्सा लिया.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस मीटिंग में अफगानिस्तान के वर्तमान हालात और उससे निपटने के लिए जरूरी मानवीय सहायता पर चर्चा हुई है.
इस बैठक में भारत का शामिल होना इसलिए भी अहमियत रखता है क्योंकि अभी तक अफगानिस्तान को लेकर हुईं अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में भारत को नहीं बुलाया जा रहा था.
इस बैठक में अन्य सदस्य देशों के रूप में रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और तुर्कमेनिस्तान ने भी हिस्सा लिया.
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 8 नवंबर को ही रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को इस बात की पुष्टि कर दी थी कि भारत भी इस बैठक में हिस्सा लेगा. इस बैठक की पुष्टि करते हुए एस जयशंकर ने कहा था कि दुनिया को नहीं भूलना चाहिए कि अफगानिस्तान में क्या हालात हैं. उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया अफगानिस्तान पर उतना ध्यान नहीं दे रही है जितना देना चाहिए.
भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि इस मीटिंग में शामिल सभी देशों ने अफगानिस्तान के वर्तमान हालात पर चर्चा के साथ-साथ वहां के मौजूदा मानवीय संकट और इससे निपटने के लिए जरूरी सहायता पर बात की है. बयान में कहा गया है कि इस मीटिंग में अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने, आतंकवाद से निपटने और क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी चर्चा हुई है.
पिछले महीने हुई थी घोषणा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अफगानिस्तान में विशेष प्रतिनिधि जामिर काबुलोव ने पिछले ही महीने 'मॉस्को फॉर्मेट कंस्लटेशन ऑन अफगानिस्तान' मीटिंग की घोषणा की थी. काबुलोव ने बताया था कि इस मीटिंग का मकसद तालिबान के कुछ गलत कदमों को प्रमुखता से सामने लाना है. साथ ही उन्होंने कहा था कि वहां के धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों में दखल दिए बिना हम कोशिश करेंगे कि तालिबान वहां की महिलाओं को बाहर काम करने जाने पर और लड़कियों को स्कूल जाने पर पाबंदी न लगाए.
भारतीय प्रतिनिधि पहले भी जा चुके हैं अफगानिस्तान
'मॉस्को फॉर्मेट कंस्लटेशन ऑन अफगानिस्तान' मीटिंग में भारत के प्रतिनिधि जे पी सिंह इससे पहले भी अफगानिस्तान जा चुके हैं. जून में भारत ने मानवीय सहायता के रूप में अफगानिस्तान को मेडिकल सुविधाओं की एक बड़ी खेप सौंपी थी. इसी दौरान जे पी सिंह ने तालिबान के बड़े नेताओं से मुलाकात की थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक में तालिबान का कोई भी प्रतिनिधि नहीं शामिल नहीं हुआ है. तालिबान की ओर से मीटिंग में शामिल नहीं होने के कारण की जानकारी नहीं दी गई है.
क्या है मॉस्को फॉर्मेट
अफगानिस्तान के मुद्दों पर चर्चा करने और इसके समाधान के लिए साल 2017 में मॉस्को फॉर्मेट की शुरुआत हुई थी. शुरुआत में रूस, चीन, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और भारत सदस्य देश थे. यह वार्ता हमेशा रूस की ओर से ही होती रही है.