डीजल कारों के भविष्य पर संकट, कई कंपनियों ने बंद किया निर्माण
नई दिल्ली
डीजल और पेट्रोल की कीमतों में अंतर का कम होना इसका बड़ा कारण है। मई 2012 में यह अंतर 32.27 रुपये प्रति लीटर था, जो काफी अधिक था। इसमें भारी कमी आई है क्योंकि सरकार ने ईंधन की कीमतों को बाजार से जोड़ दिया है। दिल्ली में डीजल व पेट्रोल के दाम में अंतर सिर्फ 7.1 रुपये प्रति लीटर है। साथ ही, बीएस-6 उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप डीजल इंजन बनाने की लागत ने पेट्रोल और डीजल कारों के बीच दाम के अंतर को बढ़ा दिया है। दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से अधिक पुरानी डीजल कारों पर प्रतिबंध से डीजल वाहनों की छवि अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहन के तौर पर हो गई है। इसने रीसेल वैल्यू को प्रभावित किया है।
बड़ी कंपनियों ने डीजल कार बनाना बंद किया
मारुति सुजुकी, फॉक्सवैनग समूह जिसमें फॉक्सवैन, स्कोडा और ऑडी ने भारत में डीजल कार बनाना बंद कर दिया है। इसके अलावा रेनॉ और निसान ने भी डीजल कारों का उत्पादन बंद कर दिया है। मारुति द्वारा डीजल मॉडल बंद करने के फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव पड़ा। कुछ साल पहले तक, इसके सात मॉडल में डीजल इंजन की पेशकश की गई थी, जिसमें कॉम्पैक्ट एसयूवी ब्रेजा भी शामिल था। यह मॉडल पेट्रोल में उपलब्ध नहीं था।
कीमत में अंतर कम होने के आसार नहीं
ईंधन की कीमतें अब बाजार से जुड़ी हैं, तेल विपणन कंपनियों ने मई के बाद से तेल के दाम घटाए या बढ़ाए नहीं हैं। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कहा था कि जहां पेट्रोल पर कोई नुकसान नहीं हुआ है, वहीं कंपनियों को डीजल पर तीन से चार रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। इससे डीजल की कीमत घटने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन वृद्धि संभव है। नतीजतन, पेट्रोल और डीजल के बीच का अंतर पांच रुपए प्रति लीटर तक कम हो सकता है, जिससे डीजल कारों की ओर रुझान पेट्रोल की तुलना में और कम हो जाएगा।
डीजल कारों का भविष्य क्या है
डीजल वाहन माल ढुलाई का मुख्य आधार बने रहेंगे, यात्री वाहनों में इसकी संभावनाएं अब धूमिल हो रही हैं। बीएस-6 उत्सर्जन मानदंडों का दूसरा चरण अगले साल लागू होने वाला है। यह ऑनबोर्ड डायग्नोस्टिक डिवाइस द्वारा रीयल-टाइम उत्सर्जन ट्रैकिंग को अनिवार्य करेगा, जो वाहनों को महंगा बना देगा। छोटे डीजल इंजन को मानदंड पूरा करने के लिए अपग्रेड करने की आवश्यकता होगी। वाहन बनाने वाली अधिकांश कंपनियां इनका निर्माण बंद कर सकती हैं। हाल ही में टोयोटा ने इनोवा के डीजल वर्जन को बंद कर दिया है।
ऐसे घट रही बाजार में हिस्सेदारी
54 फीसदी हिस्सेदारी थी डीजल कारों की एक दशक पहले तक
20 फीसदी से नीचे पहुंच गई ही बाजार में डीजल कारों की हिस्सेदारी
01 फीसदी हिस्सेदारी छोटी कारों में डीजल मॉडल की
16 फीसदी हिस्सेदारी है कॉम्पैक्ट एसयूवी में
25 फीसदी हिस्सेदारी वैन और यूटिलिटी वाहनों में
80 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी चार मीटर से लंबी एसयूवी में
पेट्रोल और डीजल की कीमत में कम होता अंतर
अप्रैल 2022 में 9.95 रुपये प्रति लीटर
नवंबर 2022 में 7.1 रुपये प्रति लीटर
डीजल वाहनों की हिस्सेदारी कमी
2012 में 54% डीजल 45% पेट्रोल
2022 में 18% डीजल 69% पेट्रोल