कोरोना महामारी ने घटाए जीवन के दो साल, सिर्फ दो देश इस असर से अछूते
नई दिल्ली
दुनिया हालांकि कोरोना महामारी के प्रभावों से धीरे-धीरे उबर रही है, लेकिन इसके कुछ प्रभावों का असर लोगों को लंबे समय तक महसूस होंगे। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी के कारण 2020-21 में दुनिया में लोगों की उम्र 1.7 साल घट गई है। गरीब एवं विकासशील देशों में यह अवधि और ज्यादा है।
दुनिया में कोरोना से 1.49 करोड़ अधिक मौतें
हाल में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 के बीच कोरोना महामारी के चलते दुनिया में 1.49 करोड़ अतिरिक्त मौतें हुई हैं। यह सामान्य मौतों की तुलना में तीन गुना ज्यादा थीं। इनका असर यह हुआ है कि 2020-21 के दो साल में दुनिया में लोगों की औसत आयु 1.7 साल कम हुई है।
औसत आयु का मतलब
औसत आयु से तात्पर्य यहां जन्म के समय उम्र की प्रत्याशा से होता है, जिसमें यह गणना की जाती है कि जन्म लेने वाला कितने साल तक जिएगा।
महामारी का प्रभाव गरीब एवं विकासशील देशों पर कहीं ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 2020-21 में जन्म के समय औसत आयु घटकर 71 साल रह गई। जबकि, 2019 में यह 72.7 वर्ष आंकी गई थी। लेकिन, महामारी का प्रभाव गरीब एवं विकासशील देशों पर कहीं ज्यादा पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपरोक्त अवधि के दौरान 2019 में दक्षिण अफ्रीकी देशों में औसत आयु 65.5 साल आंकी गई थी, लेकिन कोरोना काल में 2021 में यह 61.8 साल रह गई। इस प्रकार वहां 3.7 साल की कमी दर्ज की गई।
मध्य एवं दक्षिण एशिया में औसत आयु में 2.3 साल की कमी
एशियाई देशों में खासकर मध्य एवं दक्षिण एशिया में इसमें 2.3 साल की कमी दर्ज की गई है, जबकि लातिन अमेरिकी एवं कैरीबियन देशों में यह कम अपेक्षाकृत कम 1.5 साल की रही है। सबसे खराब स्थिति बोत्सवाना, लेबनान, रशियन फेडरेशन, मैक्सिको, बोलीविया में रही, जहां औसत आयु में चार साल तक की गिरावट आई।
आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में औसत आयु में वृद्धि
रोचक बात यह है कि आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में जहां कोरोना महामारी के दौरान मृत्यु दर कम रही है, वहां औसत आयु में 1.2 साल की वृद्धि दर्ज की गई है।
उच्च आय वाले देशों में तेजी से सुधर रहे हालात
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी से उबरने के बाद उच्च आय वाले देशों में हालात तेजी से सुधर रहे हैं तथा 2022 में यह कमी दूर हो जाएगी और औसत आयु पूर्व की स्थिति में आ जाएगी। लेकिन, निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों को पूर्व की स्थिति में आने में कम से कम एक-तीन साल का वक्त लगेगा।