September 28, 2024

इस अनोखे स्कूल में बच्चे क्लास रूम में नहीं, ट्रेन की बॉगी में करते हैं पढ़ाई

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नई दिल्ली
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं। कहीं मिड डे मील में खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं तो कहीं जर्जर स्कूल भवन सुर्खियां बनती हैं। शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवालों के बीच आज हम आपको एक अनोखे शिक्षा मॉडल से रूबरू करवाने जा रहे हैं। बिहार के गया ज़िले का एक सरकारी विद्यालय प्रदेश भर में सुर्खियों में है। इसकी वजह यहां का शिक्षा मॉडल है, बच्चों को स्कूल में मन लगे इसलिए प्रिंसिपल ने अनोखा प्रयोग करते हुए क्लासरूम को ट्रेन के बॉगी की शक्ल दे दी है। स्कूल के प्रधानाचार्य ने किया अनोखा प्रयोग गया जिले के नावाडीह (बांके बाज़ार प्रखंड) मध्य विद्यालय में बच्चे ट्रेन की बॉगी का शक्ल दिए गए क्लासरूम में तालीम हासिल कर रहे हैं। इस स्कूल के प्रिंसिपल ने क्लासरूम को ट्रेन की बोगियों की शक्ल दे दी है। विद्यालय के प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार की मानें तो इस नए प्रयोग से स्कूल में छात्रों की हाज़िरि बढ़ी है। वहीं स्कूल में छात्रों की तादाद भी बढ़ रही है। शिक्षा मॉडल में नए प्रयोग की वजह से बच्चों में स्कूल आने की चाहत पैदा हो रही है। इसके साथ वह पढ़ाई में रुचि दिखाते हुए अपने भविष्य को संवारने में भी जुट गए हैं।

स्कूल का नज़ारा देख कर हो जाएगा दिलखुश मध्यविद्यालय में किए गए इस प्रयोग से बच्चों स्कूल आने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं। इसके साथ ही छात्रों के लिए स्कूल आकर्षण का केंद्र बन रहा है। आप मध्य विद्यालय नावाडीह जाएंगे तो वहां का नज़ारा देख कर दिलखुश हो जाएगा। बच्चे जब क्लासरूम के दरवाजों से झांकते हैं तो लगता है कि मुसाफिर ट्रेन की बॉगी से बाहर देख रहा है। यात्री ट्रेन के डिब्बे जैसा दिखने वाला स्कूल बच्चों का काफी भा रहा है। विद्यालय में काफी शानदार तरीक़े पेंट कर क्लासरूम को बॉगी की शक्ल दी गई है। प्रदेश भर में हो रही पहल की सराहना नावाडीह मध्य विद्यालाय में स्कूल के प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार द्वारा किए गए नए प्रयोग की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है। इसके साथ ही जिले के लोग उनके इस पहल की सराहना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ट्रेन के जैसी स्कूल की दीवारें बच्चों बहुत पसंद आ रही हैं। स्कूल से वापस आने के बाद बच्चे अगले दिन स्कूल खुलने के इंतज़ार में रहते हैं। परिजनों का कहना है कि बच्चों स्कूल से आने के बाद काफी खुश नज़र आते हैं। उन्होंने बस इस बात का इंतज़ार रहता है कि स्कूल जाने का वक्त हो और वह विद्यालय पहुंच जाएं। बच्चे घर से ज्यादा स्कूल में वक्त बिताना पसंद कर रहे हैं।

इस पहल से बच्चों में शिक्षा की दिलचस्पी बढ़ रही है। बच्चों के लिए शिक्षा मॉडल में अनोखा प्रयोग स्थानीय लोगों ने बताया कि विद्यालय में किए गए इस अनोखे प्रयोग के बाद अब लोगो प्राइवेट स्कूलों से बच्चों का नाम कटवा कर नावाडीह मध्य विद्यालाय में दाखिला करवा रहे हैं। मौजूदा वक्त में छात्रों की तादाद 400 से भी ज़्यादा हो चुकी है। उनका कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाके होने के बावजूद काफी तादाद में छात्रों का पहुंचना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। वहीं विद्यालय के प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार का कहना है कि बच्चों के लिए इस शिक्षा मॉडल का प्रयोग किया गया है ताकि छात्रों को लगे की वह ट्रेन में बैठकर भविष्य का सफर तय कर रहे हैं। वहीं उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चों के मुताबिक माहौल बनाया गया है, जिससे छात्रों की हाज़िरि लगातार बढ़ रही है।
 

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