मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट को सार्वजानिक करने की मांग
( अमिताभ पाण्डेय)
भोपाल
उच्च न्यायालय, इंदौर मे दायर की गई एक जनहित याचिका पर न्यायाधीश ने शासन को आदेश दिया है कि वह मंदसौर गोलीकांड की जांच के लिए गठित , जैन आयोग की रिपोर्ट अभी तक पटल पर क्यों नहीं रखी गई ?
इस बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करें ।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय के माध्यम से मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट विधानसभा मे पेश करने हेतू शासन को आदेश देने का अनुरोध किया था। ।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि किसान आंदोलन के दौरान 06 जन 2017 को मंदसौर मे हुये गोलीकांड में 5 किसानो की मृत्यु हुई थी ।
इसकी जाँच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जे.के. जैन की अध्यक्षता में “जैन आयोग” का गठन किया था ।
आयोग द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट शासन को 13 जून 2018 में प्रस्तुत कर दी गई थी |
जाँच आयोग अधिनियम, 1952 की धारा 3(4) के अनुसार, शासन का यह दायित्व है कि, वह जाँच आयोग की रिपोर्ट तथा रिपोर्ट की अनुशंसा अनुसार की गई कार्यवाही 6 माह के भीतर विधानसभा में प्रस्तुत करे |
इसके बाद भी आज दिनांक तक शासन द्वारा न ही रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही की गई और न ही अधिनियम के अनुसार रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की गई | मध्यप्रदेश विधानसभा के सचिवालय द्वारा बार-बार इस हेतु पत्र भी सामान्य प्रशासन विभाग को लिखा गया था ।
श्री सकलेचा की ओर से दायर याचिका में 21 नवंबर 2022 को शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया कि कमीशन ऑफ इन्क्वायरी कानून की धारा 3(4) के अंतर्गत विधानसभा के पटल पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना बंधनकारी नहीं है , और इस हेतु न्यायालय द्वारा कोई भी आदेश नहीं दिया जा सकता |
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया तथा न्यायमूर्ति अमरनाथ केसरवानी की युगल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को रिजॉइंडर् प्रस्तुत करने हेतु 2 सप्ताह का समय दिया है ।
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता प्रत्यूष मिश्र द्वारा की गई |