कतर में फुटबॉल विश्व कप से भारतीय पॉल्ट्री फार्म उद्योग में ख़ुशी ,जानिए क्यों
नई दिल्ली.
इस साल का फुटबॉल विश्व कप खाड़ी देश कतर में हो रहा है. इस महाकुंभ में जुटे सभी खिलाड़ी गोल करने के लिए एक गोल-गोल गेंद के पीछे भाग रहे हैं, लेकिन इस बार के विश्व कप में एक और गोल चीज है जिसने सभी को अपना दीवाना बना लिया है. खाड़ी देश कतर में दुनियाभर के सैलानियों का जमावड़ा लगा है, जाहिर है इस समय खाने-पीने की चीजों की मांग भी काफी बढ़ गई है. खासकर अंडे की खपत काफी बढ़ गई है और इस कमी को पूरा कर रहा है भारतीय पॉल्ट्री उद्योग.
दरअसल, अभी तक खाड़ी देशों को अंडे का सबसे बड़ा सप्लायर यूक्रेन और तुकी थे. यूक्रेन तो फरवरी के बाद से ही रूस के साथ युद्ध में फंसा है और तुर्की अकेले इसकी सप्लाई करने में समर्थ नहीं है. इसका फायदा उठाया भारतीय पॉल्ट्री किसानों ने अपना निर्यात बढ़ाकर खाड़ी देश के इस अंडे के बाजार का फंडा समझ लिया. फुटबॉल विश्व कप के दौरान कतर में अंडे की मांग और बढ़ गई है. आसपास के देशों ओमान, यूएई में भी अंडे की बढ़ी मांग भारतीय उद्योग ही पूरा कर रहा है.
भारत से मंगाना पड़ रहा सस्ता
ऑल इंडिया पॉल्ट्री प्रोडक्ट एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष के सिंहराज ने बताया कि खाड़ी देशों में भारतीय अंडे की मांग इसलिए भी ज्यादा बढ़ रही है, क्योंकि यह तुर्की के मुकाबले काफी सस्ता भी पड़ता है. 360 अंडों का एक कैरेट तुर्की से जहां 36-37 डॉलर के हिसाब से आता है, वहीं भारत इसे 30-31 डॉलर के हिसाब से भेजता है. भारत के तमिलनाडु स्थित नमक्कल से सबसे ज्यादा अंडों का निर्यात किया जाता है. इसे देश में अंडा उत्पादन का हब माना जाता है, जहां रोजाना 4.5 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है, जबकि पूरे देश में रोजाना 30 करोड़ अंडों का उत्पादन हो रहा है.
बर्डफ्लू ने घटाई थी खपत
ऐसा नहीं है कि खाड़ी देशों में भारतीय अंडों की मांग अभी बढ़ी है. पांच-छह साल पहले भी भारत से बड़ी मात्रा में अंडे का निर्यात खाड़ी देशों को किया जाता था, लेकिन यहां बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद अंडों का निर्यात कम हो गया. इसके बाद कोरोना महामारी ने इस उद्योग को और नुकसान पहुंचाया. फिलहाल यह उद्योग वापस पटरी पर लौट रहा और रोजाना अंडे का निर्यात करीब 3 करोड़ पहुंच गया है.
किसानों को होगा सबसे ज्यादा फायदा
आंध्र प्रदेश में वेंकटेश्वर हेचरीज के प्रमुख केजी आनंद ने कहा, खाड़ी देशों को अंडों का निर्यात बढ़ने से सबसे ज्यादा लाभ किसानों को मिलेगा. घरेलू बाजार में अंडे की उत्पादन लागत तो बढ़ गई है, लेकिन यहां कीमत काफी कम रही जिससे किसानों को लाभ नहीं मिला. कोरोनाकाल में एक अंडे की उत्पादन लागत 4.50 रुपये, जबकि उसकी कीमत 4.75 रुपये से 5 रुपये तक रही थी. अभी यह 5.50 से 7 रुपये के दायरे में पहुंच गई है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा और उन्हें अपनी लागत निकालने में आसानी होगी.