हमें भद्रा में नहीं करने चाहिए कभी भी शुभ कार्य,जाने कारण
अकसर भद्रा के समय को त्योहार मनाने के लिए अशुभ करार दिया जाता है। आम लोग इसे गंभीरता से लेते भी हैं। तब आपको विचार आता होगा कि यह भद्रा है क्या? भारतीय पंचांगों में अकसर यह लिखा होता है कि कभी रात में तो कभी दिन में भद्रा रहेगी। जैसे 3 अप्रैल गणोश चतुर्थी व्रत के दिन भद्रा दिन में 4 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषियों से सलाह-मशविरा करने वाले लोग शुभ कार्य को भद्रा में शुरू करने से बचते हैं। असल में भद्रा भगवान सूर्य की पत्नी छाया से जन्मी न्यायप्रिय ग्रह शनि की सगी बहन हैं। काले रंग की, लंबे-लंबे बालों और बड़े-बड़े दांतों वाली भद्रा देखने में अति भयंकर हैं। यज्ञों में विघ्न-बाधा, उत्सवों तथा मंगल-यात्रओं में लड़ाई- झगड़ा कराने आदि में इनकी विशेष रुचि रहती है। पिता सूर्य ने जब इनका विवाह करने की ठानी तो हर जगह असफलता हाथ लगी।
वैशाख मास है दान का मास
देवता, असुर, किन्नर आदि ने भद्रा से विवाह करने से इंकार कर दिया। इधर विवाह खातिर बना मंडप और तोरण आदि भद्रा ने नष्ट कर दिया। तब ब्रह्मा जी ने सूर्य की पीड़ा जान कर भद्रा को बुलाया और कहा- बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम रहा करो। अगर कोई यात्र, गृह-प्रवेश, शुभ व मंगल कार्य, खेती, व्यापार, उद्योग आदि कार्य तुम्हारे समय में करे तो तुम उसी में विघ्न-बाधा पैदा करो। चौथे दिन के आधे भाग में देवता और असुर तुम्हारी पूजा करेंगे। जो भी आदर न दे, उनके कार्यो का नाश करो। भद्रा को ही विष्टि भी कहते हैं।
भद्रा के बारह नामों का रोज करें स्मरण
भद्रा पांच घड़ी मुख में, दो घड़ी कंठ में, ग्यारह घड़ी हृदय में, चार घड़ी नाभि में, पांच घड़ी कटि में और तीन घड़ी पुच्छ में स्थित रहती है। भद्रा जब पुच्छ में रहती है, केवल तभी कार्य में सिद्धि मिलती है। बाकी स्थिति में हानि होती है। सबसे ज्यादा अशुभ शनिवार की वृश्चिकी भद्रा है।मेष, वृष, मिथुन और वृश्चिक राशि के चंद्रमा में भद्रा का निवास स्वर्ग में, कन्या, तुला, धनु और मकर राशि के चंद्रमा में भद्रा का निवास पाताल में होता है। इसके फलस्वरूप मनुष्य लोक में इसका असर नहीं होता है। लेकिन कर्क, सिंह, कुंभ और मीन के चंद्रमा में भद्रा मनुष्यलोक में रहती है और मनुष्य कष्ट पाता है। धन्या, दधिमुखी, भद्रा, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारुद्रा,विष्टि, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली और असुरक्षयकरी- भद्रा के इन बारह नामों को सुबह जो नित्य स्मरण करता है, उसे किसी भी प्रकार के अपमान और नुकसान का भय नहीं रहता है।