अमावस्या व्रत कथा को सुनने से प्राप्त होता है सौभाग्य
मार्गशीष माह की अमावस्या 23 नवंबर दिन बुधवार को है. इस दिन स्नान, दान, व्रत और पूजा पाठ करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है. पूजा के समय अमावस्या व्रत की कथा का श्रवण करते हैं तो अखंड सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है.
अमावस्या व्रत कथा
एक नगर में गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था. उनके घर एक बेटी थी, जो बहुत ही सुंदर थी. लेकिन उसका विवाह नहीं हो रहा था. एक दिन एक साधु उसके घर आए और उस लड़की की सेवा से प्रसन्न हुए और उसका हाथ देखा. उन्होंने बताया कि उसके हाथ में विवाह रेखा नहीं है.
साधु ने बताया कि एक गांव में सोना धोबन है. यदि यह कन्या उसकी सेवा करें और वह इसके विवाह के समय अपनी मांग का सिंदूर इस बेटी को लगा दे तो इसका वैधव्य योग दूर हो जाएगा. तब ब्राह्मण पिता ने बेटी को उस धोबन की सेवा करने को कहा.
पिता के कहे अनुसार, वह लड़की रोज सुबह सोना धोबन के घर जाती और उसके घर की साफ सफाई के साथ पूरे काम करके वापस घर आ जाती थी. सोना धोबन ने अपनी बहू से कहा कि आजकल तुम बहुत जल्दी घर का काम कर लेती हो पता ही नहीं चलता. तब उसने कहा कि वह कोई काम नहीं करती. पता नहीं कौन ये सारे काम करता है.
अगले दिन से सास और बहू निगरानी करने लगीं. काफी दिनों बाद सोना धोबन ने उस कन्या को पकड़ लिया और उससे पूछा कि तुम इतने दिनों से मेरे यहां ये सब काम क्यों करती हो. तब उसने सोना धोबन को सारी बातें बताई. सोना धोबन तैयार हो गई.
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उसने जैसे ही उस कन्या की मांग में अपनी सिंदूर लगाई, वैसे ही उसकी पति की मृत्यु हो गई. वह काफी दिनों से बीमार था. ब्राह्मण परिवार के घर से लौटते समय सोना धोबन ने रास्ते में पीपल के पेड़ को 108 ईंट के टुकड़ों की भंवरी दी और 108 बार परिक्रमा की. उसके बाद पानी पीया. उस दिन वह सुबह से निराहार और बिना जल पीए थी. पीपल की परिक्रमा करते ही उसका पति जीवित हो गया. उस दिन सोमवती अमावस्या थी.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो महिला सोमवती अमावस्या से भंवरी देने की परंपरा शुरू करती है और हर अमावस्या को भंवरी देती है. उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है.