400 करोड़ खर्च करअब तक ,भोपाल में महज 800 किमी ही सीवेज का नेटवर्क
भोपाल
स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में वाटर प्लस तमगा लेने के बावजूद स्थिति ये है कि 463 वर्ग किमी दायरे में फैले भोपाल में महज 800 किमी ही सीवेज नेटवर्क है। ये भी पीएचई और बीएमसी के बीच झूल रहा है। नगर निगम के पास इसमें 350 किमी की लाइन है, जबकि पीएचई के पास 450 किमी की लाइनें हैं। जो शहर के अलग-अलग क्षेत्रों की 350 कॉलोनियों में फैला है। जबकि अभी जरूरत 700 से ज्यादा कॉलोनियों को जोड़ने की है। हैरानी की बात यह है कि सीवेज नेटवर्क पीएचई के पास ज्यादा है, लेकिन पंप हाउस नगर निगम के जिम्मे है।
नगर निगम ने पंप हाउस का जिम्मा अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी को ठेके पर दिया हुआ है। ये कंपनी अहमदाबाद की है और इसका वर्कशॉप भी वहीं है। यदि किसी पंप हाउस का कोई पंप खराब हो जाता है तो उसे सुधारने के लिए कंपनी अहमदाबाद वर्कशॉप में भेजती है। यानी पंप खराब हुआ तो फिर 2.5 माह तक सीवेज पंप नहीं हो पाता है। इससे तालाब में लगातार गंदगी मिलती रहती है।
इनका जिम्मा पीएचई के पास
कॉलोनी ई 1 से ई 5 तक चार इमली, 74 बंगला, 45 बंगला, टीटी नगर, कोटरा सरकारी आवास, बैरागढ़ समेत एशियन डेवलपमेंट बैंक की मदद से एडीबी प्रोजेक्ट के तहत तालाब की ढलाने वाले क्षेत्र कोहेफिजा, ईदगाह हिल्स, हमीदिया से लगे फतेहगढ़, श्यामला हिल्स और आसपास के क्षेत्रों का सीवेज रखरखाव पीएचई का जिम्मा है।
यह नहीं कर पाया निगम
नव विकसित कॉलोनियों में एसटीपी अनिवार्य है। यानि यहां से अन ट्रीटेड सीवेज बाहर नहीं जाना चाहिए। स्थिति ये है कि महज एक फीसदी कॉलोनी में ही एसटीपी है, बाकी अपने यहां का सीवेज आगे की कॉलोनी या खुले क्षेत्र में छोड़ रहे हैं। इस पर कड़ाई से काम करने की जरूरत है।
जमा हो गई रेत
बैरागढ़ में 900 एमएम की लाइन इसी बेपरवाही से बंद हुई। यहां कुछ पंप खराब हो गए, जिसे दुरुस्त करने अहमदाबाद भेजा गया था, जबकि कुछ को बंद कर दिया गया था। स्थिति ये रही कि बारिश में सीवेज के साथ अतिरिक्त पानी लाइन से गुजरा। बड़ी मात्रा में रेत लाइन में जमा हो गई जिससे अब लाइन जाम है।
लाइन और पंप हाउस किए अपग्र्रेड…
सीवेज की नई डीपीआर पर काम चल रहा है। निगम ने काफी लाइन और पंप हाउस अपगे्रड किए हैं। बचे हुए क्षेत्रों में भी सीवेज निस्तार और ट्रीटमेंट पर फोकस है।
केवीएस चौधरी कोलसानी, कमिश्नर बीएसमी