November 26, 2024

SC में सिर्फ 24 सालों में हुए 22 चीफ जस्टिस, चुनाव आयुक्तों के कार्यकाल पर चर्चा के बीच सवाल

0

नई दिल्ली 

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है और उनके 6 साल का कार्यकाल पूरा न करने पर भी चिंता जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि आखिर 2004 के बाद से अब तक कोई भी मुख्य चुनाव आयुक्त कार्य़काल क्यों नहीं पूरा कर सका। अदालत ने कहा था कि 26 सालों में देश ने 15 मुख्य चुनाव आयुक्त देखे हैं। हालांकि एक तथ्य यह भी है कि खुद सुप्रीम कोर्ट में ही 24 सालों में 22 मुख्य न्यायाधीश हुए हैं। वहीं इससे पहले के 48 सालों में 28 चीफ जस्टिस हुए थे। जनवरी 1998 में जस्टिस एमएम पुंछी को मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति मिली थी और वह 9 महीने ही पद रहे। 
 
उनके बाद 1998 के ही अक्टूबर में जस्टिस ए.एस आनंद को कमान मिल गई थी। आनंद का कार्यकाल करीब तीन साल तक रहा और 2001 तक मुख्य न्यायाधीश रहे। हालांकि उनके बाद जस्टिस एस. पी भरूचा चीफ जस्टिस बने, जो 6 महीने ही पद पर रह सके। उन्हें नवंबर 2001 में जिम्मेदारी मिली थी और मई 2002 में वह रिटायर हो गए थे। उनके बाद जस्टिस बी.एन कृपाल को चीफ जस्टिस के तौर पर जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन वह भी 7 महीने ही पद पर रहे। उनका 18 दिसंबर, 2002 को रिटायरमेंट हो गया था। यही नहीं उनके बाद चीफ जस्टिस बने जीबी पटनायक का कार्यकाल तो महज 1 महीने का ही रहा। वह नवंबर 2002 में चीफ जस्टिस बने थे और दिसंबर में रिटायरमेंट हो गया।

आजादी के बाद से अब तक सुप्रीम कोर्ट में कुल 50 चीफ जस्टिस हुए हैं। इस तरह देखें तो 75 सालों की यात्रा में सुप्रीम कोर्ट के एक चीफ जस्टिस का औसत कार्यकाल अधिकतम डेढ़ वर्ष ही रहा। यही नहीं 2017 से 2022 तक ही बीते 5 सालों में सुप्रीम कोर्ट ने 6 चीफ जस्टिस देखे हैं और अब 7वें डीवाई चंद्रचूड़ फिलहाल पद पर हैं। सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति करने वाले 4 वरिष्ठतम जजों के कॉलेजियम ने 1998 से अब तक 111 जजों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति दी है। 

क्यों SC के कॉलेजियम सिस्टम पर भी उठते रहे हैं सवाल

गौरतलब है कि इससे पहले एक बार जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति प्राधिकरण का प्रस्ताव रखा था, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था। बता दें कि जजों की नियुक्ति के लिए चले आ रहे कॉलेजियम सिस्टम की भी आलोचना होती रही है। सुप्रीम कोर्ट की महिला जज जस्टिस रूमा पाल ने भी इस व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि यह ऐसा है कि तुम मेरी पीठ खुजला दो और मैं तुम्हारी।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *