प्रयागराज में पुलिस से वकील ही कर रहे आरटीआई की जंग, इन्होंने पूछे सबसे ज्यादा सवाल
प्रयागराज
कानूनी दायरा हो तो पुलिस से सवाल वकील ही करते हैं। जन सूचना अधिकार (आरटीआई) के मामलों में भी प्रयागराज में खाकी से वकील ही जंग करते नजर आ रहे हैं। पुलिस विभाग में आरटीआई दाखिल कर जवाब मांगने वाला हर दूसरा शख्स अधिवक्ता है। हो भी क्यों न आम जनता को भी पुलिस से कुछ जानकारी लेनी हो तो वह आसानी से नहीं मिलती, ऐसे में वह हाईकोर्ट, कचहरी के वकीलों का सहारा लेते हैं। इसके बाद अधिवक्ता आरटीआई आवेदन कर मुकदमा, कार्रवाई, एफआर, चार्जशीट, लंबित मामले, अपराध, पुलिस कार्रवाई आदि के बारे में अफसरों से जवाब मांग लेते हैं।
यहां इलाहाबाद हाई कोर्ट है, ऐसे में अधिवक्ताओं की संख्या भी सर्वाधिक है। यही वजह है कि खाकी वालों से वकीलों की जन सूचना अधिकार की जंग सीधे चल रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बने जन सूचना अधिकार कार्यालय के आंकड़ों को ही देखें तो इस मामले में वकीलों की सक्रियता रिकॉर्ड ही बनाती है। अमूमन यहां शहर और देहात की सूचनाओं के लिए प्रतिमाह 300 से 400 आरटीआई दाखिल होती है। इसमें 85 से 90 फीसदी आवेदन वकीलों के होते हैं। यह छुपी बात इसलिए भी नहीं है क्योंकि यहां अधिवक्ता अपने आवेदन के साथ अपनी पूरी डिटेल लगाते हैं।
आरटीआई दाखिल करने के दौरान पुलिस विभाग के रजिस्टर में भी दर्ज होता है। बाद में इसे ऑनलाइन कर दिया जाता है। वकीलों की आरटीआई की संख्या इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि जिस आरटीआई का पुलिस अधिकारी सीधे और साफ जवाब नहीं देते अधिवक्ता उस पर सवाल उठाते हुए फिर से पूरी जानकारी मांगते हैं। अधिवक्ताओं के अलावा यहां कई दलों के नेता भी पुलिस से सवाल जवाब करते नजर आते हैं।
अक्तूबर माह में पुलिस विभाग में दाखिल 3687 आरटीआई में 2928 तो वकीलों के नाम ही रही। वर्ष 2020 में 2323, 2021 में 2670, 2022 में 4200 का आंकड़ा पार हुआ है। इस साल अब तक तीन हजार से अधिक जन सूचना अधिकार का इस्तेमाल वकीलों ने किया है। अधिवक्ता विश्व विजय, काशान सिद्दीकी बताते हैं कि पुलिस से आम आदमी जानकारी मांगने जाता है तो उसे लौटा देते हैं। कई मामलों में पुलिस गुपचुप कार्रवाई किए होती है। ऐसे में आरटीआई ही जरिया है जिससे केस स्टेटस की रिपोर्ट मिल जाती है।