गुड न्यूज़ : ‘लो-डोज निवोलुमैब’ पद्धति से सिर और गर्दन के कैंसर मरीजों का इलाज मात्र 3.5 लाख रुपये में
नई दिल्ली
देश में सिर और गर्दन के कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए महाराष्ट्र के टाटा मेमोरियल अस्पताल ने राहत की खबर दी है. सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए ‘लो-डोज निवोलुमैब’ नामक नया उपचार (लोड डोज थेरेपी) एक उम्मीद की किरण लेकर आया है, जिससे उपचार की लागत 62 लाख रुपये से घटकर मात्र 3.5 लाख रुपये हो जाती है. महाराष्ट्र के टाटा मेमोरियल अस्पताल में डॉ. विजय पाटिल और उनकी टीम ने गंभीर रूप से बीमार सिर और गर्दन के कैंसर रोगियों के जीवन को लम्बा करने के लिए एक ‘कम लागत’ वाले इनोवेशन यानी नए उपचार की शुरुआत की है.
डॉ. विजय पाटिल ने बताया कि इम्यूनोथेरेपी या कीमोथेरेपी काफी महंगी उपचार पद्धति है और इसकी कीमत 60 लाख रुपये से अधिक है और बड़ी बात यह है कि यह उपचार 97 फीसदी कैंसर रोगियों की पहुंच से बाहर है. ऐसे कैंसर रोगी निवोलुमैब उपचार से लाभान्वित हो सकते हैं. डॉक्टरों का दावा है कि उपचार की कीमतों में गिरावट से कैंसर के इलाज के लिए दवा तक पहुंच मौजूदा 2.8% से बढ़कर 75% से अधिक हो जाएगी. पाटिल ने कहा कि भारत में केवल 2.8% रोगी ही कैंसर रोधी दवाओं का खर्च उठा सकते हैं.
डॉ. पाटिल ने आगे कहा कि लो डोज इम्यूनोथेरेपी दवा 25,000 रुपये प्रति माह पर उपलब्ध है, जबकि कैंसर के लिए नियमित खुराक की लागत इससे आठ गुना अधिक है. कम खुराक वाली दवा यानी लो डोज इम्यूनोथेरेपी दवा इलाज की लागत को 62 लाख रुपये से घटाकर 3.3 लाख रुपये प्रति वर्ष कर देती है. दरअसल, निवोलुमैब एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार में किया जाता है. कैंसर रोगियों के लिए आम उपचार के रूप में की जाने वाली कीमोथेरेपी के नियमित खुराक में जितना खर्च होता है, उसका दसवां हिस्सा जितना खर्च निवोलुमैब उपचार में होता है.
उन्होंने कहा कि कैंसर में ज्यादातर लोग इलाज का खर्च नहीं उठा पाते हैं और महंगी दवा होने की वजह से मरने का विकल्प ही चुनते हैं. वास्तव में यह एक दुखद स्थिति है. यह न केवल रोगियों के लिए बल्कि कैंसर का इलाज करने वाले मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट के लिए भी निराशाजनक है. उन्होंने आगे कहा कि महंगे इलाज के कारण दवा न दे पाना एक भयानक एहसास है. इसलिए हमें लगा कि इसे लेकर कुछ किया जाना चाहिए और इस तरह ‘लो-डोज निवोलुमैब’ उपचार का विचार आया.
डॉ. पाटिल ने अपनी टीम के साथ क्लीनिकल ट्रायल किया, जो अक्टूबर में जर्नल ऑफ क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित हुआ था. ट्रायल के परिणाम उत्साहजनक थे. रिसर्च ने दावा किया कि यह प्रदर्शित करने वाला पहला रैंडमाइज्ड स्टडी है कि मेट्रोनोमिक कीमोथेरेपी में लो डोज निवोलुमैब को शामिल करने से ओवरऑल सर्वाइवल में सुधार हुआ है और यह उन लोगों के इलाज का एक वैकल्पिक मानक है, जो महंगी पूर्ण-खुराक इम्यूनोथेरेपी दवाओं का उपयोग नहीं कर सकते हैं.
दरअसल, मेट्रोनोमिक कीमोथेरेपी एक ऐसा उपचार है, जिसमें लंबी अवधि के लिए निरंतर आधार पर कैंसर रोधी दवाओं की कम खुराक दी जाती है. इससे कैंसर के मानक कीमोथेरेपी की तुलना में कम साइड इफेक्ट होता है. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की टीम ने मेटास्टैटिक सिर और गर्दन के कैंसर वाले 76 रोगियों पर इस नए उपचार का परीक्षण किया. इस समूह की तुलना ऐसे ही 75 रोगियों के एक अन्य समूह से की गई, जिन्हें केवल कीमोथेरेपी दी गई थी. 75 ऐसे ही रोगियों के दूसरे समूह की तुलना में जिन्हें केवल कीमोथेरेपी दी गई थी, सभी 76 मरीज अपने जीवन को लम्बा करने में सक्षम थे.
डॉ. पाटिल ने कहा कि इस नए थेरेपी से हर साल 2-3 लाख से अधिक रोगियों और दुनिया भर में 10 लाख से अधिक लोगों को लाभ होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि हमने इस आधार पर यह विचार किया गया कि मानक खुराक का 10वां हिस्सा भी कैंसर रोगियों पर प्रभावी हो सकता है. हमने कैंसर के इलाज को सस्ता बनाने के उद्देश्य से यह ट्रायल किया. बता दें कि निवोलुमैब एक चेकपॉइंट अवरोधक है, जो कैंसर को मारने के लिए टी-कोशिकाओं (प्रतिरक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण श्वेत रक्त कोशिकाओं में से एक) को सक्रिय करता है.