लेबड नयागांव फोरलेन पर टोल वसूली के मामले में मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी
( अमिताभ पाण्डेय )
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट मे आज मुख्य न्यायाधीश श्री चन्द्रचूड तथा न्यायाधीश हीमा कोहली ने मध्य प्रदेश सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें लेबड-जावरा और जावरा-नयागाव फोरलेन पर टोल वसुली को चुनौती दी गई थी।
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता तथा पूर्व विधायक पारस सकलेचा द्वारा एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड डॉ.सर्वम रितम खरे के माध्यम से दायर की गई । इस याचिका में बताया गया है कि जावरा-नयागांव रोड पर, वर्ष 2020 तक टोल टैक्स लगभग 1 हजार 461 करोड़, जो कुल परियोजना लागत की तीन गुना से भी अधिक है, वसूला जा चुका है। इसकी कुल परियोजना लागत 471 करोड़ ही है। इसी प्रकार लेबड-जावरा सड़क पर, जिसकी परियोजना लागत 605 करोड़ थी, वहां अब तक टोल 1हजार 325 करोड़ यानि परियोजना लागत का लगभग ढाई गुना वसूल किया जा चुका है।
इस ठेके की अवधि 25 साल यानी 2033 तक है और तब तक वसूला जाने वाला टोल कई गुना अधिक हो जाएगा । जो जनता पर आरोपित किया जाने वाला अत्यधिक और मनमाना कराधान है। यह इन्डियन टोल एक्ट 1851के विपरीत है और जनता से जबरन लगातार वसूली की जा रही है। यहां बताना जरूरी होगा कि पूर्व विधायक श्री सकलेचा ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी , जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। उस आदेश के खिलाफ, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई ।
आज 25 नवंबर को वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत द्वारा अधिवक्ताओं ओल्जो जोसेफ और डॉ. सर्वम रितम खरे की सहायता से की गई दलीलें सुनने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री चन्द्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी किया एवम सरकार से जवाब तलब किया है। इन दो सड़कों पर टोल संग्रह की चुनौती का असर पूरे मध्य प्रदेश में टोल टैक्स कलेक्शन और टोल नीति पर पड़ेगा । राज्य शासन को टोल टैक्स वसूलने की नीति जिसे ठेकेदार के बजाय जनता के अनुकूल किया जाना चाहिए ।