September 23, 2024

शिवराज के राज्य में कई स्कूलों में नहीं मिल रहा है मध्यान भोजन बच्चे हैरान

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शिक्षकों की मनमानी, समूह संचालकों की बल्ले-बल्ले

जतारा
राम सिंह टीकमगढ़ ने क्षेत्र का दौरा कर देखा कि सरकार की माने तो मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बड़ी बड़ी डीगे छोड़ रहे है की बच्चों के लिए स्कूल में संचालित समूह द्वारा मैंन्यू अनुसार खाना बनाकर परोसने की बात कही जा रही है, किंतु क्षेत्रीय नेताओं एवं अधिकारियों की चापलूसी के चलते राजनीतिक संरक्षण में पल-पुस रहा है मध्यान भोजन का गोरखधंधा। सरकारें भले ही बच्चों की भलाई के लिए स्व सहायता समूह को मध्यान भोजन की जिम्मेदारी दिए हुए हैं शिकायतों के बावजूद भी समूह संचालक पर राजनीतिक संरक्षण के चलते नहीं की जाती कार्यवाही विद्यालयों में पदस्थ शिक्षक और समूह संचालक अपनी मनमानी के चलते बच्चों का निवाला गटक रहे हैं ऐसा ही एक मामला पलेरा विकासखंड के जन शिक्षा केंद्र स्यावनी अंतर्गत ग्राम जेवर में संचालित हायर सेकेंडरी स्कूल मे शिक्षा व्यवस्था बहुत ही खराब नजर आ रही है ना तो शाला परिसर मे शौचालय ठीक है ना ही शिक्षा बच्चो के भविष्य के साथ खिलबाड़ कर रहे है शिक्षक ऐसा ही और मामले देखने को मिले है प्राथमिक पाठशाला उपरारा,प्राथमिक शाला लोडा का खिरक,कन्या प्राथमिक शाला जेवर मैं बच्चों के लिए खाना बनाने के लिए पास में ही किचन सेड बनाया गया है किंतु क्षेत्रीय नेताओं के संरक्षण के चलते समूह संचालक स्कूलों में इतना दबाव बनाए हुए हैं की खाना किचन में ना बनाकर अपने घर पर बनाते हैं और लगभग 4 किलोमीटर दूर से विद्यालय परिसर मे खाना ठंडा पहुंचाया जाता है बच्चों को भरपेट खाना भी नहीं दिया जाता है वही बच्चों से झाड़ू लगवाई जाती है साथ में ही बच्चों से ही थालियां धुलवाईं जाती हैं, जी हां हम बात कर रहे हैं ग्राम जेवर मैं बने प्राथमिक शाला लोढ़ा का खिरक विद्यालय की जहां बच्चे स्वयं झाड़ू लगाते और थालीया धोते नजर आए । जब वहां पदस्थ प्रधान अध्यापक से हमारी टीम ने बात की तो उन्होंने साफ कहा की प्राइमरी स्कूलों में चपरासी की व्यवस्था नहीं होती है इसलिए बच्चों से ही झाड़ू लगवाई जाती है बच्चों से ही थालियां धुलवाईं जाती हैं अब ऐसे में देखना है की इन शिक्षकों पर राज्य शिक्षा केंद्र और शिक्षा विभाग में पदस्थ आला अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं या फिर यूं ही तमाशबीन बने रहेंगे।

जब हमारी टीम ग्राम जेवर के एक शाला एक परिसर माध्यमिक शाला जेवर पहुंची तो नजारा कुछ और ही था माध्यमिक शाला का खाना किचन सेट में ही बनाया जा रहा था जो कि गुणवत्ता युक्त था किंतु वही एक शाला एक परिसर में प्राथमिक शाला जेवर भी संचालित है जहां पर शिक्षकों और समूह संचालक की मिलीभगत से गांव से दूर 4 किलोमीटर से ठंडा खाना लाया जाता है और बच्चों को परोसा जाता है बच्चों को भरपेट खाना नहीं दिया जाता है बच्चों ने स्वयं  बताया की हमारे शिक्षक ही हमसे थालियां धुलवाने के लिए कहते हैं, यदि हम अपने शिक्षकों की बात नहीं मानते हैं तो हमें दंडित किया जाता है ऐसे में बेचारे बच्चे क्या कर सकते हैं।

आप ही समझ सकते हैं कि ऐसे में शिक्षा व्यवस्था दूर-दूर तक नजर नहीं आती है बस मध्यान भोजन के जंजाल में फंसा शिक्षा विभाग अपने लिए रोटियां सेंकता नजर आ रहा है। जब हमारी टीम ने शिक्षकों से इस बारे में जानना चाहा तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया राजनीतिक दबदबा इतना तेज है की शिक्षकों के दिमाग में मीडिया के प्रति एक अलग ही रवैया सामने निकल कर आता है। इनके मन में कहीं कोई खौफ नजर नहीं आता। इनका खेल यहीं समाप्त नहीं होता है यह बच्चों की संख्या जो रजिस्टर में दर्ज है उसके अनुसार मध्यान्ह भोजन के चक्कर में समूह संचालकों को कभी 80% कभी 90% उपस्थिति दर्ज कर सौंप देते हैं। किंतु हमारी टीम ने पहुंच कर देखा कि किसी कक्षा में 54 बच्चे दर्ज हैं, तो वही आने वाले बच्चों की संख्या लगभग 15 से 20 ही है किंतु उपस्थिति 90%  दी जा रही है। ऐसी में लालच बस शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है।

ग्रामीणों ने बताया की प्राथमिक कन्या पाठशाला जेवर मैं पदस्थ शिक्षक और समूह संचालक की सांठगांठ के चलते कई वर्षों से ऐसा ही खेल खेला जा रहा है और शिक्षक और समूह संचालक की बल्ले-बल्ले बनी हुई है। ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर से मांग की है कि समूह संचालक से वहां का मध्यान भोजन छीन कर किसी अन्य समूह को दिया जाए ताकि बच्चों की स्वास्थ्य एवं शिक्षा का ख्याल रखा जाए यहां पदस्थ शिक्षकों के चलते शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो पाना असंभव सा प्रतीत होता है। ग्रामीणों ने कहां है कि यदि ऐसा ही विद्यालय चलता रहा तो यहां अगली पीढ़ी मूक और बधिर पैदा होगी। ऐसे में ग्रामीणों ने मांग की है कि तत्काल प्रभाव से शिक्षकों को अन्यत्र स्थानांतरित कर यहां अन्य शिक्षकों को भेजा जाए और समूह संचालको बदला जाये ताकि शिक्षा व्यवस्था और बच्चो के खाने की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके।
 
इनका कहना
आपके द्वारा मुझे अभी जानकारी प्राप्त हुई है मे जन शिक्षा केंद्रो के अन्तर्गत आने वाले स्कूलों की भ्रमण कर जाँच करूंगा।
डॉ अभिजीत सिंह, एसडीएम जतारा

यह कहते है
इनकी जाँच जन शिक्षकों के माध्यम से करवायेंगे जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कार्यवाही की जायेगी।
भानूप्रकाश श्रीवास्तव, बीआरसीसी पलेरा

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