September 23, 2024

हर राम नवमी पर राम लला पर पड़ेगी सूरज की किरणें, कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया राम मंदिर का गर्भगृह 

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अयोध्या
उत्तर प्रदेश के अयोध्या के राम मंदिर के निर्माणाधीन गर्भगृह के डिजाइन को फाइनल कर लिया गया है। विशेषज्ञों की एक टीम ने अयोध्या के राम मंदिर के निर्माणाधीन गर्भगृह के डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया है। राम मंदिर दिसंबर 2023 में जनता के लिए खोले जाने की संभावना है। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, "राम मंदिर के गर्भगृह को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि हर राम नवमी पर दोपहर के समय राम लला पर सूरज की किरणें पड़े।" 

बताया जा रहा है कि राम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की तरह किया जा रहा है। पीएम मोदी ने दिया था सुझाव राम मंदिर निर्माण समिति का नेतृत्व के वाले विशेषज्ञों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर ट्रस्ट को सुझाव दिया था कि राम मंदिर के गर्भगृह का निर्माण ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की तर्ज पर किया जाना चाहिए, ताकि सूर्य की रोशनी सीधे देवता पर पड़े। राम मंदिर का गर्भगृह उस अधिरचना का हिस्सा है जो वर्तमान में बनाया जा रहा है। 

 मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, "राम मंदिर के इस अधिरचना का निर्माण राजस्थान के बंसी पहाड़पुर जिले के नक्काशीदार बलुआ पत्थरों से किया जा रहा है।" उन्होंने कहा, मंदिर के अधिरचना के लिए लगभग 4.75 लाख क्यूबिक फीट बंसी पहाड़पुर पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। वर्तमान में, लगभग 50 प्रतिशत पत्थरों पर नक्काशी की गई है।' कौन-कौन हैं राम मंदिर पैनल में शामिल? राम मंदिर निर्माण समिति का नेतृत्व पूर्व नौकरशाह नृपेंद्र मिश्रा कर रहे हैं और इसमें सीबीआरआई- रुड़की के निदेशक प्रोफेसर प्रदीप कुमार और इसके पूर्व निदेशक प्रोफेसर गोपाल कृष्णन के अलावा अन्य विशेषज्ञों की टीम है। मंदिर के वास्तुकार आशीष सोमपुरा भी इसी टीम का हिस्सा हैं।
 

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