चीन की जिनपिंग सरकार के खिलाफ हथियार बना ‘कोरा कागज’, लॉकडाउन के खिलाफ सड़कों पर उतरे स्टूडेंट्स
बीजिंग
चीन में कोरोना से हालात अब भी खराब हैं। महामारी पर लगाम लगाने के सरकार के कदम में विफल होते नजर आ रहे हैं। उल्टा लोगों में सरकार के खिलाफ रोष बढ़ रहा है। अब लोग जिनपिंग सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं। उन्होंने कोरे कागज को चीनी सरकार के खिलाफ हथियार बना लिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और फोटो में देखा जा सकता है कि बीजिंग और शंघाई में स्टूडेंट शांति आंदोलन में ब्लैंक पेपर लहरा रहे हैं। एक तरफ जहां दुनिया के ज्यादातर देश कोरोना महामारी की त्रासदी से बाहर आ चुके हैं वहीं चीन इन दिनों कोरोना और लॉकडाउन को लेकर बेहद सख्त है। यहां जीरो-कोविड पॉलिसी लागू कर दी गई है। इस बीच एक दुखद घटना भी घट गई जिसके बाद प्रदर्शन और तेज हो गए। उरुमकी में एक अपार्टमेंट में आग लगने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद लोग भड़क गए। लोग कोरोना के नियमों में ढील देने की मांग कर रहे हैं।
शंघाई में शनिवार को प्रदर्शनकारी रात में कैंडल लेकर इकट्ठा हुए थे। लोगों ने कोरा कागज और कैंडल लेकर उरुमकी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। एक वीडियो में दिखाया गया कि एक अकेली महिला चीन कि कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी में खड़ी होकर ब्लैंक पेपर लेकर प्रदर्शन कर रही थी। इतने में एक शख्स आता है और वह पेज खींचकर लेकर चला जाता है।
बीजिंग के सिंघुआ विश्वविद्यालय में भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। यहां प्रदर्शनकारियों से कहा गया था कि वे अपने हाथ में कोरा कागज लेकर आएं। इसी तरह जब 2020 में हॉन्ग कॉन्ग में प्रदर्शन हुए थे तब भी कोरे कागज को विरोध के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा मॉस्को में भी लोगों ने इसी तरह पुतिन सरकार का विरोध किया था।
शंघाई में विरोध प्रदर्शन को लेकर कई सारे ट्वीट्स किए गए हैं, जिनमें बताया गया है कि उरुमकी रोड पर जुटे लोगों ने जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने 'मैं PCR टेस्ट नहीं कराना चाहता', 'हमें आजादी चाहिए' और 'लॉकडाउन खत्म करो' के नारे लगाए। देर रात तक प्रदर्शनकारियों के इन नारों की गूंज दूर-दूर सुनाई दी। इनका कहना है कि ये लोग 'जीरो कोविड पॉलिसी' से तंग आ गए हैं।