साँची से संपुर्ण विश्व बुध्द धम्म का प्रचार हुआ – डा मोहनलाल पाटील
साँची
सम्राट अशोक व्दारा निर्मित विश्व धरोहर साँची स्तुप से तथागत भगवान बुध्द के दो शिष्यों सारिपुत्र एवं महामोग्यलायन जी के अस्थी कलश प्राप्त हुये थे। जो श्रीलंका महाबोधि सोसायटी व्दारा निर्मित चैतिया गिरी बुध्द विहार में वे रखे गये है । जो प्रतिवर्ष नागरिकों की दर्शनाथ बाहर निकाले जाते है ।
इस अवसर पर आज आरपीआई (आम्बेडकर) महासचिव डा मोहनलाल पाटील ने साँची पहुचकर अष्ट धातु के दर्शन कर प्रेस से कहा कि " साँची से संपुर्ण विश्व में बौध्द धम्म का प्रचार -प्रसार हुआ है। साँची के स्तुप शांति, पवित्रतम, धर्म और साहस के प्रतिक माने जाते है। सम्राट अशोक ने इसका निर्माण बौध्द धर्म के प्रसार -प्रचार के लिए किया। अपने पुत्र महेन्द्र एवं संघमित्रा को श्रीलंका में बौध्द धर्म के प्रचार हेतु भेजा था। साँची बौध्द मेले श्री धनराज शेन्डे, श्री बालकिसन गुप्ता, सुनिल सेरिया, अमित श्रीवास्तव, लखनलाल पुर्वी, उमेश पाटील आदि पाटील सहाब के साथ थे। दि बुध्दिस्ट समाज विकास समिती के अध्यक्ष श्री सिध्दार्थ पाटील एवं साथियों व्दारा निशुल्क भोजनदान के स्टाल से वितरित किया । इस अवसर गौतम पाटील, नरेन्द्र गडपाले, राकेश गजभिये साथ थे। दि बुध्दिस्ट सोसायटी आफ इंडिया के स्टाल को भेट दी, संस्था के भिक्षु जीवक ,धम्मरतन सोमकुवर, श्री गजभिये जी, मनोज मानिक, अशोक पाटील, अशोक वानखेडे उपस्थित थे।