रेपिस्टों की रिहाई के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं बिलकिस बानो
नई दिल्ली
2002 के गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप और सात सदस्यों की हत्या में सजा काट रहे सभी 11 अभियुक्तों की रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इस केस की योग्यता पर विचार करेंगे।
हाल ही में इस केस के सभी 11 दोषियों को माफी दी गई थी। 15 अगस्त को जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़डिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना को गोधरा उप कारागर से रिहा किया गया था।
सीबीआई की अदालत ने सुनाया था फैसला
साल 2008 में मुंबई की सीबीआई अदालत ने इन बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की निर्मम हत्या के मामले में 11 अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस फैसले पर अपनी सहमति व्यक्त की थी।
दोषियों ने पूरी कर ली थी 15 साल की सजा
इस केस के सभी दोषियों ने 15 साल की सजा पूरी कर ली थी। इसके बाद इनमें से एक ने माफी की गुहार लगाते हुए राहत की मांग की थी। कैदियों की सजा में छूट की मांग पर विचार के लिए बनी कमेटी ने सर्वसम्मति से सभी 11 अभियुक्तों को रिहा करने का फैसला किया। इस रिहाई के फैसले की खूब आलोचना हुई।
सुप्रीम कोर्ट भी गुजरात सरकार से था नाखुश
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को रिहा किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुजरात सरकार का जवाब बहुत बोझिल है। इसमें कई फैसलों का हवाला दिया गया है, लेकिन तथ्यात्मक बयान नहीं हैं। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को गुजरात सरकार के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया था।