टीबी एवं कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए समुदाय में प्रत्येक मरीज की होगी पहचान
रायपुर
कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे के निर्देशन में एवं गुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिथिलेश चौधरी तथा जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अविनाश चतुवेर्दी के मार्गदर्शन में 1 से 21 दिसम्बर तक सघन टीबी एवं कुष्ठ खोज अभियान चलाया जायेगा। इसके अंतर्गत समुदाय में प्रत्येक मरीज की पहचान कर जांच एवं उपचार किया जाएगा। अभियान के दौरान मितानीन के द्वारा अपने कार्य क्षेत्र में घर-घर भ्रमण कर टीबी एवं कुष्ठ रोग के लक्षण के आधार पर सम्भावित मरीजों की पहचान की जायेगी।
जिला क्षय अधिकारी डॉ अविनाश चतुवेर्दी ने बताया की 1 जनवरी 2022 से नवम्बर 2022 तक कुल 38,000 मरीजो का बलगम जांच किया गया था। जिसमें से 5,392 मरीजों में टीबी के बीमारी की पुष्टि हुआ है। जिनका उपचार चल रहा है। जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ श्वेता सोनवानी ने संयुक्त रूप से बताया की 1 अप्रैल 2022 से नवम्बर 2022 तक कुष्ठ के 734 मरीज पाए गये है। जिनका उपचार चल रहा है जिनमें से 44 मरीज ग्रेड -2 विकृति वाले पाये गये है। 16 मरीज आरसीएस (रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी ) है, जिसमें से 14 मरीजों का आरसीएस सर्जरी किया गया है। सभी 14 मरीजों को शासन द्वारा निर्धारित क्षतिपूर्ति राशि प्रत्येक को 8000 रुपए तीन किस्तों में भुगतान कर दिया गया है।
इसी क्रम में सघन टीबी एवं कुष्ठ खोज अभियान दो चरणों में पूर्ण किया जाएगा। प्रथम चरण में 1 से 21 दिसंबर तक घर-घर भ्रमण कर टीबी एवं कुष्ठ रोग के लक्षण के आधार पर संभावित मरीजों की पहचान की जाएगी। वहीं द्वितीय चरण में 2 से 17 जनवरी तक सभी निजी चिकित्सालयों, नर्सिंग होम, प्राइवेट प्रैक्टिशनरों व केमिस्टों द्वारा चिन्हांकित टीबी व कुष्ठ रोग के संभावित मरीजों की दैनिक सूची लेकर इसे टीबी व कुष्ठ रोग के पोर्टल में दर्ज किया जाएगा। अगर किसी मरीज को जांच की आवश्यकता हुई तो नि:शुल्क जांच के लिए सैंपल एकत्र किया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिथिलेश चौधरी ने बताया कि सघन टीबी एवं कुष्ठ खोज अभियान की गतिविधियों के अंतर्गत मितानिन के द्वारा अपने कार्यक्षेत्र में 1 से 15 दिसंबर तक घर-घर भ्रमण कर टीबी एवं कुष्ठ रोग के लक्षण के आधार पर संभावित मरीजों की पहचान की जाएगी। साथ ही 16 से 21 दिसंबर तक की अवधि के दौरान मितानिन द्वारा खोजे गए संभावित टीबी एवं कुष्ठ के मरीजों का पुन: परीक्षण संबंधित क्षेत्र के एमपीडब्ल्यू एवं एएनएम द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक घर जाकर सभी व्यक्तियों में लक्षणों का पता लगाया जाएगा। वहीं ऐसे क्षेत्र जहां मितानिन कार्यरत नहीं है वहां निकट के पारा की मितानीन अथवा कुष्ठ मित्र, टीबी चौंपियन, टीबी मितान या स्वयंसेवी व्यक्तियों की सेवाएं ली जाएगी। शहरी क्षेत्रों (मुख्यत: गैर श्रमिक बाहुल्य) में मितानिन की उपलब्धता न होने की स्थिति में यूएचडब्ल्यूसी के आरएचओ (पुरुष/महिला) की सेवा ली जाएगी। मितानिन द्वारा गृह भेंटों के माध्यम से चिन्हांकित टीबी एवं कुष्ठ संभावित रोगियों को निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर जांच कराने की सलाह दी जाएगी।