September 23, 2024

 गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- गोधरा कांड के दोषियों को जमानत देने का सवाल ही नहीं

0

 नई दिल्ली 
गुजरात में दूसरे चरण के मतदान से पहले राज्य की भाजपा सरकार ने शुक्रवार को 2002 के गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में दोषियों को जमानत देने पर नरम रुख अपनाने से इनकार कर दिया है। आपको बता दें कि इस कांड के बाद पूरे प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। सुप्रीम कोर्ट के यह कहने के बावजूद सरकार ने यह रुख अपनाया है कि उनमें से कुछ पत्थरबाज थे और वे लंबे समय तक जेल में रहे हैं। दोषियों की अपील 2018 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि दोषी 17-18 साल से जेल में हैं और अदालत पथराव के आरोपियों को कम से कम जमानत देने पर विचार करेगी। इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह कोई पत्थरबाजी का मामला नहीं है। पत्थरबाजी के कारण पीड़ितों को जलते कोच से बाहर निकलने से रोका गया। गुजरात हाईकोर्ट ने 2017 में 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। वहीं, 20 दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। इस मामले में 63 अभियुक्तों को बरी कर दिया था, जिनमें 59 हिंदू तीर्थयात्री शामिल थे। आपको बता दें कि 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बे में आग लगा दी गई थी।

उन्होंने कहा, "बदमाशों द्वारा S-6 कोच में आग लगाए जाने के बाद दोषियों ने कोच पर पत्थर बरसाए ताकि न तो यात्री अपनी जान बचाने के लिए जलते हुए कोच से बाहर निकल सकें और न ही कोई बाहर से उन्हें बचाने के लिए जा सके।" हालांकि, उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि वह प्रत्येक दोषियों की भूमिका की जांच करेंगे और अदालत को सूचित करेंगे कि क्या उनमें से कुछ को जमानत पर रिहा किया जा सकता है, बशर्ते उनकी भूमिका बहुत छोटी हो। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को 15 दिसंबर को अपने विचार प्रस्तुत करने की अनुमति दी।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस को रोकने के बाद बदमाशों द्वारा एस-6 कोच में आग लगा दी गई थी। आरोपी व्यक्तियों ने कथित तौर पर दमकल गाड़ियों को भी साइट पर पहुंचने से रोका था। इस घटना से पूरे राज्य में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। 11 नवंबर को CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली और जेबी पर्दीवाला की पीठ ने गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में आजीवन अब्दुल रहमान मजीद को दी गई जमानत को 13 मई, 2022 को अगले साल 31 मार्च तक इस आधार पर बढ़ा दिया था कि उसकी पत्नी लगातार जेल में है। उसके दो विशेष रूप से विकलांग बच्चों को उसकी देखभाल की आवश्यकता थी।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *