November 24, 2024

AIIMS के साइबर अटैक के पीछे चीनी हैकर्स के हाथ, डार्क वेब पर बेचा गया डेटा!

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नई दिल्ली
 दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) पर हुए साइबर हमले में लाखों मरीजों के निजी डेटा चोरी हो गए। सूत्रों के अनुसार चोरी किए गए डाटा को डार्क वेब पर बेच दिया गया है। इस मामले में चीन के लोगों के शामिल होने का संदेह जताया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार चीनी हैकरों ने साइबर हमले के दौरान एम्स के पांच मुख्य सर्वरों को निशाना बनाया था। चुराए गए डेटा को संभवतः डार्क वेब पर बेचा गया। एम्स के चोरी हुए डाटा पाने के लिए डार्क वेब पर 1,600 से अधिक सर्च किए गए हैं। चोरी किए गए डेटा में राजनेताओं और मशहूर हस्तियों सहित वीवीआईपी लोगों की निजी जानकारी शामिल है।

दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट IFSO (The Intelligence Fusion & Strategic Operations) के सूत्रों के अनुसार पांच सर्वरों पर हमला हुआ था। एफएसएल की टीम लीक हुए डाटा की जांच कर रही है। IFSO के अधिकारियों का कहना है कि कोई डाटा नष्ट नहीं हुआ है। यह पहली बार है जब कोई हैकिंग केस IFSO को सौंपा गया है। हैकरों का मुख्य उद्देश्य पैसे की उगाही है।

हैकर्स ने की 200 करोड़ रुपए की मांग
हैकर्स ने एम्स से डाटा के बदले 200 करोड़ रुपए क्रिप्टोकरंसी के रूप में देने की मांग की है। आशंका जताई जा रही है कि एम्स के करीब 3-4 करोड़ मरीजों का डेटा हैकिंग से प्रभावित हुआ है। हैकिंग की घटना बुधवार सुबह सामने आई थी। इसके चलते एम्स में मरीजों का इलाज भी प्रभावित हुआ है। सर्वर डाउन रहने के कारण इमरजेंसी, आउट पेशेंट, इनपेशेंट और लेबोरेटरी विंग के काम प्रभावित हुए हैं।

एम्स में नेटवर्क सैनिटाइजेशन का काम चल रहा है। सर्वर और कंप्यूटर को एंटीवायरस से क्लीन किया जा रहा है। एम्स के 5,000 में से लगभग 1,200 कंप्यूटरों में एंटीवायरस लोड किया गया है। वहीं, 50 में से 20 सर्वरों को स्कैन किया गया है।  सैनिटाइजेशन का काम 24×7 जारी है।

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