राजस्व विभाग: आदिवासियों के जमीन मामले में नहीं चलेगी कोई लापरवाही
भोपाल
आदिवासियों के लिए गैर नोटिफाईड एरिया में आदिवासी की जमीन खरीदने के लिए अपर कलेक्टर फैसला नहीं ले सकेंगे। अपर कलेक्टर राजस्व अधिकारी हैं, इसलिए अगर किसी जिले में कलेक्टरों ने यह काम अपर कलेक्टरों को सौंप रखा है तो इसे वापस लेना होगा। ऐसे मामलों में सिर्फ कलेक्टर ही सुनवाई कर आदेश जारी कर सकेंगे। साथ ही ऐसे इलाकों में भी कलेक्टर की अनुमति से ही आदिवासी की जमीन बिक सकेगी।
प्रदेश में 15 नवम्बर से पेसा एक्ट लागू करने के राज्य सरकार के फैसले के बाद इसको लेकर राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने नया स्पष्टीकरण जारी किया है। रस्तोगी ने लागू नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि इसमें कुछ प्रतिबंध भी हैं। इन्ही प्रतिबंधों में एक प्रतिबंध अनुज्ञा प्रावधान को लेकर है। जमीन ट्रांसफर करने के लिए अनुज्ञा देने का यह नियम ऐसे राजस्व अधिकारी से अनुमति लिए जाने को लेकर है जो कलेक्टर से अनिम्न श्रेणी का न हो यानी कलेक्टर या उससे सीनियर अफसर ही इसके लिए अनुमति दे सकेंगे।
पेसा एक्ट के बाद बदली स्थिति: सख्ती से पालन करना होंगे नियम
राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया है कि भूमि अंतरण के ऐसे मामले जो आदिवासी वर्ग की भूमि से संबंधित हैं तथा नोटिफाइड एरिया से अलग क्षेत्र के हैं। उन क्षेत्रों में यदि कोई आदिवासी भूमि स्वामी गैर आदिवासी के पक्ष में अपनी जमीन ट्रांसफर कराना चाहता है तो या ऐसे भूमि स्वामी जो धारा 158 (3) कैटेगरी के हैं और अपनी जमीन ट्रांसफर करना या बेचना चाहते हैं उन्हें भूमि बिक्री के पहले राजस्व अधिकारी जो कलेक्टर या उससे ऊपर रैंक का अफसर है, उससे अनुमति लेना होगी।
प्रमुख सचिव ने कहा है कि यह अनुमति सिर्फ कलेक्टर दे सकेंगे, कलेक्टर की अनुमति की प्रत्याशा में अपर कलेक्टर यह अनुमति नहीं दे सकेंगे क्योंकि संहिता की धारा 12 के अनुसार अपर कलेक्टर कलेक्टर के अधीनस्थ राजस्व अधिकारी है। इसलिए सभी कलेक्टर यह ध्यान रखेंगे कि अपने तथा अपर कलेक्टर के मध्य कार्य विभाजन करते समय इन नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। यह काम अपर कलेक्टर को नहीं सौंपा जाना चाहिए।