मैनपुरी में अखिलेश के लिए कितनी चुनौती? डिपंल और रघुराज की किस्मत का फैसला आज? वोटिंग शुरू
मैनपुरी
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया। 17 लाख से अधिक मतदाता सपा और भाजपा सहित छह प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। 9 लाख से अधिक पुरुष और 8 लाख से अधिक महिला मतदाता इस बार वोट की चोट करेंगे। पांच विधानसभाओं के 2239 मतदेय स्थलों पर मतदान होगा। सुबह 5:30 बजे मॉकपोल होगा और ठीक 7 बजे से मतदान शुरू करा दिया जाएगा। रविवार को पूरे दिन पोलिंग पार्टियां अपने-अपने गंतव्य को पहुंचीं।
मैनपुरी की चार विधानसभाओं के 1756 तथा इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा के 483 कुल 2239 मतदेय स्थलों पर वोट डाले जाएंगे। इस बार सभी 2239 बूथों पर होने वाले मतदान का सीधा प्रसारण होगा। पूरे जिले को 163 सेक्टर और 28 जोन में बांटा गया है। इस बार 77 मंगलामुखी भी वोट डालने बूथ पर आएंगे। जहां तक 2019 के सामान्य लोकसभा चुनाव का सवाल है तो इस चुनाव में मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभाओं में 57.37 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में 61.05 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे।
कड़ी टक्कर
मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उपचुनाव में सपा ने डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने इटावा के पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है। दोनों के बीच सीधा मुकाबला है। इस बार उपचुनाव में बसपा और कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा है। चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो बार, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तीन बार और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक दो बार, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने दो बार मैनपुरी में प्रचार किया है। वहीं सपा खेमे में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेजप्रताप यादव ने मुलायम की विरासत बरकरार रखने के लिए वोट मांगे हैं।
स्थिति
वर्ष 1989 में सपा ने यहां उदयप्रताप को चुनाव लड़ाया और जीत हासिल की। इसके बाद से लगातार सपा मैनपुरी लोकसभा सीट जीतती रही है। मैनपुरी लोकसभा में पांच विधानसभा सीटें हैं। एक विधानसभा इटावा की जसवंतनगर शामिल है। यहां 1984 में आखिरी बार कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में बलराम सिंह यादव चुनाव जीते। भाजपा मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव कभी नहीं जीत सकी है। मुलायम ने 1996, 2004, 2009, 2014, 2019 में यहां से चुनाव लड़ा। 2004 और 2014 में मुलायम के इस्तीफे के बाद उपचुनाव भी हुए। इस बार उपचुनाव मुलायम के निधन पर हो रहा है।