September 24, 2024

नवाचार : देश के 48 लाख मूकबधिर बच्चों को राष्ट्रीय गान सांकेतिक भाषा में गाने का मिला अधिकार

0

इंदौर

मध्य प्रदेश का इंदौर शहर अपने नवाचार के लिए जाना जाता है. मालवा की इस माटी में हर एक दिन कुछ नया होता है. इसी माटी से उठी आवाज ने आज देश के 48 लाख बच्चों को राष्ट्रीय गान सांकेतिक भाषा में गाने का अधिकार दिलवाया. दरअसल, मूक बधिर बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए तमाम तरह के जतन किए जा रहे हैं. ऐसी ही एक आनंद मूक बधिर नाम से संस्था है जिसके संचालक मूक बधिर के हक के लिए अधिकारियों से भी लड़ जाते हैं और तब तक पीछा नहीं छोड़ते तब तक काम ना हो जाए.

इंदौर के 'आनंद मूक बधिर संस्थान' के ज्ञानेंद्र पुरोहित ने समाज के इन बच्चों को वो अधिकार दिलवाया जो किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. जो बच्चे बोल सुन नहीं सकते ऐसे बच्चों को सांकेतिक भाषा में राष्ट्रीय गान जन गण मन गाने की लंबी लड़ाई लड़ी और अब ये बच्चे भी राष्ट्रीय गान गा रहे हैं. इसकी शुरुआत इंदौर से ही की गई थी. मूक बधिर बच्चों के राष्ट्र गान गाने के अधिकार के लिए इंदौर पुलिस के जाबांज अफसर एडिशनल कमिश्नर राजेश हिंगणकर की अहम भूमिका रही. ज्ञानेंद्र बताते हैं कि जब भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार इंदौर आए तब उनसे मिलने का समय मांगा गया था, लेकिन हो नहीं पाया. इसके बाद तत्कालीन आईजी ने पीएम की सुरक्षा में लगे राजेश हिंगणकर के नाम का सुझाव दिया.

लड़ी एक लंबी लड़ाई
हिंगणकर ने प्रधानमंत्री से मुलाकात करवाई और अटल बिहारी ने इस बात को गंभीरता से लिया और देश के 48 लाख बच्चों को राष्ट्रीय गान गाने का अवसर मिला. वहीं एडिशनल कमिश्नर राजेश हिंगणकर से बात की तो उन्होंने बताया कि ज्यादा तो कुछ याद नहीं साल 2003 में ज्ञानेंद्र मिले उन्होंने आग्रह किया और जब बात दिव्यांग बच्चों के अधिकार की थी, तो मैंने मिलवा दिया और आज उन्हें उनका अधिकार मिला गया है. कभी ना चाहते हुए भी अच्छे काम हो जाते हैं पुलिस की ड्यूटी के दौरान सबसे पहली प्राथमिकता रहती है सुरक्षा, लेकिन उस रोज ज्ञानेंद्र ने आग्रह किया तो प्रधानमंत्री से मिलवा दिया. अब बड़ा अच्छा लगता है जब कोई कहता है की मूक बधिर बच्चों के लिए राष्ट्र गान गाने की शुरुवात इंदौर से हुई और इस नेक काम में हम भागीदार रहे.

अमिताभ बच्चन ने गाया मूक बधिर बच्चों के साथ राष्ट्रगान
वहीं मूक बधिर संस्था के संचालक ज्ञानेंद्र पुरोहित के अनुसार उनके बड़े भाई की बड़ी इच्छा थी कि वो भी राष्ट्रीय गान गाएं, लेकिन गा नहीं पाते थे. कारण यह था की ऐसे बच्चों के लिए आसान नहीं था तीन मिनट 35 सेकेंड सावधान की मुद्रा में खड़े रहना. इन बच्चों को ट्रेंड करना बड़ा मुश्किल काम था, पर साइन लैंग्वेज से काम आसान हो गया. पहले इस पर रिसर्च की गई. पिर पूरे देश में घूमा और अलग-अलग बच्चों से बातें कीं. इसके बाद राष्ट्रगान तैयार हुआ. इस राष्ट्रगान को सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी 35 दिव्यांग बच्चों के साथ गाया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed