November 25, 2024

FIFA World Cup:कतर वर्ल्ड कप को भुनाने, फैंस के बीच इस्लाम को कर रहा प्रमोट

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दोहा:
 कतर एक इस्लामिक देश है और यहां फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन हो रहा है। कतर इस वर्ल्ड कप का इस्तेमाल आने वाले फैंस का इस्लाम के प्रति अपने विचारों को बदलने और धर्मांतरण करने के लिए कर रहा है। कतर पहला इस्लामिक देश है जो फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन कर रहा है। इसने बड़ी-बड़ी मस्जिदें बनाई हैं। मैच देखने पहुंचे कनाडा के कपल डोरिनेल और क्लारा पोपा ने दोहा के कटारा सांस्कृतिक जिले में एक तुर्की-शैली की मस्जिद में अजान सुनी। एक गाइड उन्हें विशाल झूमर वाली नीली मस्जिद में घुमाने ले गया।

डोरिनेल ने कहा, 'हमारे पास संस्कृति और लोगों के प्रति पूर्वाग्रह हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि हमें उनके बारे में ज्यादा पता नहीं है। हमारे दिमाग में पहले से ही एक छवि बनी है और शायद वह बदले।' कतर गेस्ट सेंटर नीली मस्जिद की देखरेख करता है और वह दुनिया भर से मुस्लिम प्रचारकों को कतर लाया है। मस्जिद के बाहर अरबी कॉफी और खजूर मिलती हैं। इसके साथ इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी कई किताबें मिलती हैं।

कट्टरपंथ की छवि खत्म की जा रही
सीरिया के वालंटियर ज़ियाद फतेह ने कहा कि विश्व कप लाखों लोगों को इस्लाम से परिचित कराने का एक अवसर है। इस्लाम को कट्टरपंथ से जोड़ा जाता है और इसे बदलने का यह एक मौका है। उन्होंने कहा, 'हम लोगों को नैतिकता, परिवार के महत्व और गैर-मुस्लिमों के प्रति सम्मान के बारे में समझाते हैं।' कतर में मस्जिदों के पास कई काउंटर मिल जाएंगे जो सिर्फ महिलाओं को टार्गेट करते हैं। इस पर लिखा है, 'मुझ से कतर के बारे में पूछिए।' जो लोग यहां रुकते हैं उन्हें अरबी कॉफी भी दी जाती है।

इस्लामोफोबिया के खिलाफ हो लड़ाई
फिलिस्तीन की एक स्वयंसेवक सोमाया ने कहा कि ज्यादातर प्रश्न हिजाब, बहुविवाह और इस्लाम में महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े हैं। यहां पहुंचे विजिटर इस्लाम पर पांच मिनट की वर्चुअल रियलिटी फिल्म को देख सकते हैं। पूरे कतर में यह अभियान चल रहा है। कॉफी की दुकानों से लेकर शॉपिंग मॉल में इस्लाम को प्रमोट किया जा रहा है। कतर के कुछ मुस्लिम नेताओं ने फुटबॉल प्रशंसकों को इस्लाम में कन्वर्ट करने के प्रयासों का आह्वान किया है। कतर विश्वविद्यालय में शरिया कानून के प्रोफेसर सुल्तान बिन इब्राहिम अल हशमी ने कहा कि वर्ल्ड कप का इस्तेमाल कन्वर्जन के लिए और इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए किया जाना चाहिए।

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