जम्मू-कश्मीर को लेकर इस फैसले पर फारूक अब्दुल्ला ने मानी अपनी गलती, जताया अफसोस
श्रीनगर
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को एक बार फिर निर्विरोध नेशनल कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष चुन लिया गया। उन्होंने हाल ही में घोषणा की थी कि वे पार्टी में अध्यक्ष पद छोड़ देंगे। फिर अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उन्होंने 2018 के पंचायत चुनाव का जिक्र किया। कहा कि उस वक्त चुनाव का बहिष्कार करना बहुत बड़ी गलती थी। आगामी किसी भी चुनाव में ऐसा नहीं दोहराया जाएगा। उन्होंने सरकार और सुरक्षाबलों को चेतावनी भी दी कि चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस के फिर अध्यक्ष बने फारूक अब्दुल्ला ने सरकार और सुरक्षा बलों को किसी भी चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने की भी चेतावनी दी। उन्होंने धमकी दी कि अगर इस तरह की बात सामने आती है तो वे धरना-प्रदर्शन करेंगे। सोमवार को पार्टी के एक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं पार्टी को बताना चाहता हूं कि पंचायत चुनाव (2018 में) का बहिष्कार करना एक बहुत बड़ी गलती थी। यह याद रखें, हम आगामी किसी भी चुनाव का बहिष्कार नहीं करेंगे। इसके बजाय (हम) चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे।”
पद छोड़ने के ऐलान के बाद फिर अध्यक्ष चुने गए
18 नवंबर को फारूक ने कहा था कि वह युवा पीढ़ी को पार्टी की कमान सौंपने के लिए दिसंबर में पद छोड़ देंगे। इस कदम को उनकी पार्टी ने अचानक घोषणा करार दिया था। फारूक ने कहा था कि वह अलग हटना चाहते थे लेकिन उन्हें पद पर बने रहने के लिए राजी किया गया क्योंकि मौजूदा दौर कठिन है। अपने बेटे उमर अब्दुल्ला की इस घोषणा का जिक्र करते हुए कि वह तब तक चुनाव नहीं लड़ेंगे जब तक कि जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा। फारूक ने कहा कि उमर को चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर हमें उनसे लड़ना है, तो हम सभी को चुनाव लड़ना होगा।" गौरतलब है कि 83 वर्षीय अपने पिता शेख अब्दुल्ला के बाद 1981 में फारूक ने नेकां के अध्यक्ष की कमान संभाली थी। वह 2009 से वर्तमान तक इस पद पर हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर राज्य के तीन बार 1982-84, 1986-90 और 1996-2002 में मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है।